(रिपोर्ट : विकास धूत, अनुवाद : संजय पराते)

अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर ने आरोप लगाया है कि सेबी को अडानी समूह की जांच में कोई सफलता इसलिए नहीं मिली, क्योंकि वह “उस रास्ते का अनुसरण करने के प्रति अनिच्छुक थी, जिसकी जांच की आंच उसके अपने अध्यक्ष तक पहुंच सकती थी।” नियामक “संघर्ष या कब्जे” के अलावा, शॉर्ट सेलर ने सेबी अध्यक्ष और/या उसके पति के स्वामित्व वाली ऑफशोर और ऑनशोर कंसल्टिंग फर्मों को भी चिन्हित किया है।

हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह की कंपनियों में गड़बड़ी और स्टॉक मूल्य में हेरफेर के आरोपों को उजागर करने के लगभग 18 महीने बाद, अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर ने शनिवार (10 अगस्त, 2024) को आरोप लगाया है कि इन मुद्दों की जांच के प्रभारी, भारत के शेयर बाजार नियामक की अध्यक्ष, का खुद संदिग्ध ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सा था, जिसका इस्तेमाल कथित तौर पर ‘अडानी मनी साइफनिंग स्कैंडल’ में किया गया था।

एक व्हिसलब्लोअर के दस्तावेजों का हवाला देते हुए हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की जटिल संरचनाओं के माध्यम से ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंडों में हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि 2017 में पूर्णकालिक सेबी सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति से कुछ सप्ताह पहले, धवल बुच ने मॉरीशस फंड प्रशासक को पत्र लिखकर उन्हें “खातों को संचालित करने के लिए अधिकृत एकमात्र व्यक्ति” बनाने के लिए कहा था।

इसने 26 फरवरी, 2018 के एक खाता विवरण का हवाला दिया है, जो कथित तौर पर सुश्री माधबी पुरी बुच के निजी ई-मेल खाते को संबोधित था, जिसने आईआईएफएल ग्लोबल द्वारा संचालित ‘ग्लोबल डायनेमिक ऑपर्च्युनिटीज फंड लिमिटेड’ (जीडीओएफ) के तत्वावधान में “जीडीओएफ सेल 90 (आईपीईप्लस फंड 1)” नामक फंड में उनके हिस्सेदारी का मूल्य उस समय 872,000 डॉलर से अधिक आंका था।

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सुश्री माधबी पुरी बुच ने एक दिन पहले कथित निजी ई-मेल खाते से इंडिया इन्फोलाइन [आईआईएफएल] को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि श्री धवल बुच जीडीओएफ में उनके पास मौजूद 100% यूनिट्स को भुनाना चाहते हैं।

हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि जीडीओएफ सेल 90, “फंड का मॉरीशस में पंजीकृत वही ‘सेल’ है, जो एक जटिल संरचना में कई परतों में पाया गया था, जिसका कथित तौर पर विनोद अडानी द्वारा उपयोग किया गया था”, जिनका नाम अडानी समूह की रिपोर्ट में गौतम अडानी के भाई के रूप में लिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट का निष्कर्ष था कि अडानी के ऑफशोर शेयरधारकों को किसने फंड किया, इस बारे में सेबी ने अपनी जांच में “कोई सुराग नहीं पाया।” इस निष्कर्ष से संबंध स्थापित करते हुए हिंडनबर्ग रिसर्च, जिसे हाल ही में सेबी से कारण बताओ नोटिस मिला था, ने टिप्पणी की है : “हमें यह आश्चर्यजनक नहीं लगता कि सेबी उस रास्ते का अनुसरण करने में अनिच्छुक थी, जिसकी जांच की आंच उसके अपने अध्यक्ष तक पहुंच सकती थी।” इसने दावा किया कि आज तक सेबी ने आईआईएफएल द्वारा संचालित अन्य संदिग्ध अडानी शेयरधारकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।

प्रेस को दिए गए बयान में सुश्री बुच और उनके पति ने “रिपोर्ट में लगाए गए निराधार आरोपों और आक्षेपों” का जोरदार खंडन किया है। अपने बयान में उन्होंने कहा : “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंडनबर्ग रिसर्च, जिसके खिलाफ सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है, ने उसी के जवाब में चरित्र हनन का प्रयास करने का विकल्प चुना है।”

इन संबंधों से आगे जाकर, हिंडनबर्ग ने यह भी आरोप लगाया है कि सेबी प्रमुख की 2013 में पंजीकृत एक ऑफशोर सिंगापुरी परामर्श फर्म अगोरा पार्टनर्स में 100% हिस्सेदारी थी, जो मार्च 2022 तक थी, जब उन्होंने अपनी हिस्सेदारी अपने पति को हस्तांतरित कर दी। इसने यह भी आरोप लगाया कि धवल बुच, जो यूनिलीवर में मुख्य खरीद अधिकारी थे और जिन्होंने पहले कभी रियल एस्टेट या पूंजी बाजार में काम नहीं किया था, को वैश्विक निजी इक्विटी फर्म ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था।

हिंडनबर्ग ने तर्क दिया है कि ब्लैकस्टोन के पास भारत में बड़े निवेश हैं और वह कई रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (आरईआईटीएस) प्रायोजित करता है, जिसका सुश्री माधबी पुरी बुच ने मार्च 2022 से शुरू होने वाले सेबी प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान समर्थन किया है, जब उन्होंने आरईआईटी को अपने “भविष्य के लिए पसंदीदा उत्पाद” के रूप में बताया और निवेशकों से उन्हें “सकारात्मक रूप से” देखने का आग्रह किया था। शॉर्ट-सेलर ने आरोप लगाया है कि सुश्री माधबी पुरी बुच ने यह यह बात छुपाई है कि ब्लैकस्टोन को इस परिसंपत्ति वर्ग से लाभ हुआ है।

हिंडनबर्ग ने अगोरा एडवाइजरी नामक एक भारतीय फर्म को भी चिन्हित किया है, जिसमें सुश्री माधबी पुरी बुच की वर्तमान में 99% हिस्सेदारी है और जिसमें उनके पति निदेशक हैं। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है, “वित्त वर्ष 2022 के अंत में, अगोरा एडवाइजरी ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, परामर्श से 1.98 करोड़ रुपए ($2,61,000) राजस्व अर्जित किया।” उन्होंने कहा कि यह सुश्री माधबी पुरी बुच के सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में पहले बताए गए वेतन का 4.4 गुना था।

यह निष्कर्ष निकालते हुए कि ये लिंक “संघर्ष या कब्जा” का संकेत देते हैं, हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा है : “किसी भी तरह से, हमें नहीं लगता कि सेबी पर अडानी मामले में एक निष्पक्ष मध्यस्थ के रूप में भरोसा किया जा सकता है। हमें लगता है कि हमारे निष्कर्ष ऐसे सवाल उठाते हैं, जिनकी आगे जांच की जानी चाहिए। हम अतिरिक्त पारदर्शिता का स्वागत करते हैं।”

(‘द हिन्दू’ से साभार)