पेट्रोल और डीजल की मूल्य वृद्धि वापस ले सरकार: आइपीएफ
राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद दिवस में पूरे देश से उठी प्रधानमंत्री से मांग
लखनऊ: पिछले दस दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगभग नौ रूपए की वृद्धि के खिलाफ राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद के तहत आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट, वर्कर्स फ्रंट, मजदूर किसान मंच और अन्य सहमना संगठनों ने पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रम करते हुए केंद्र सरकार से मांग की कि वह तत्काल प्रभाव से इस मूल्य वृद्धि को वापस ले और पेट्रोलियम पदार्थों पर लगी एक्ससाइज ड्यूटी समाप्त करे। प्रतिवाद कार्यक्रम के तहत ईमेल, ट्वीटर आदि से पत्रक भेजे गए और ट्वीटर कैम्पेन भी चलाया गया।
कर्नाटक में लोकतांत्रिक आंदोलन के प्रमुख नेता राधवेन्द्र कुस्तगी, तमिलनाडू में का0 ए. एस. कुमार, का0 पांडियन और का0 जय कुमार, उड़ीसा में मधुसूदन, बिहार में अशोक कुमार, झारखण्ड़ में मधु सोरेन, छत्तीसगढ़ में उपेन्द्र कुमार, दिल्ली में हिम्मत सिंह व रियासत फैज, पैरा टीचर एसोसिएशन के राष्ट्रीय सहसंयोजक के. सी. सोनकर समेत उत्तर प्रदेश में सीतापुर में मजदूर किसान मंच के महासचिव डा0 बृज बिहारी, सुनीला रावत, लखनऊ में वर्कर्स फ्रंट अध्यक्ष दिनकर कपूर व लाल बहादुर सिंह, सोनभद्र में आइपीएफ नेता कांता कोल, कृपाशंकर पनिका, तेजधारी गुप्ता, नौशाद, मंगरू गोंड़, चंदौली में अजय राय, रामेश्वर प्रसाद व आलोक राजभर, बाराबंकी में यादवेन्द्र यादव, आगरा में वर्कर्स फ्रंट के ई0 दुर्गा प्रसाद, इलाहाबाद में युवा मंच के राजेश सचान, जौनपुर में अश्वनी यादव, मऊ में बुनकर वाहनी के इकबाल अहमद, गोण्ड़ा में दिलीप शुक्ला व अधिवक्ता कमलेश सिंह ने कार्यक्रमों का नेतृत्व किया। यह जानकारी प्रेस को जारी अपने बयान में आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी ने दी।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री को भेजे पत्रक में कहा गया कि देश कोरोना महामारी के दौर से गुजर रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार कोरोना प्रभावित लोगों की संख्या चार लाख के ऊपर पहुंच चुकी है। इस महामारी ने हजारों लोगों की जान ले ली है। देश में बड़ी संख्या में लोग रोजगार से वंचित हुए, छोटे-मझोले उद्योग और खेती किसानी जबर्दस्त संकट के दौर से गुजर रहे है। देश में रोज आत्महत्याओं की खबरें आ रही है। देश की जनता जब इन संकटकालीन परिस्थितियों से गुजर रही हो तो ऐसे समय सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल की कीमतों में की गयी यह मूल्य वृद्धि उसके जीवन को और संकट में डाल देगी। इससे महंगाई और बढ़ेगी व आम आदमी को अपनी आजीविका चलाना मुश्किल हो जायेगा। आश्चर्य इस बात का है कि जब इस समय पूरी दुनिया में कच्चे पेट्रोलियम पदार्थो के दामों में कमी हो रही हो तब देश में इसकी कीमतों में वृद्धि करने के पीछे सरकार का तर्क क्या है। साफ है कि जनता की जिदंगी की कीमत पर इस मूल्य वृद्धि से सिर्फ और सिर्फ चंद कारपोरेट घरानों और सरकार को ही बेइंतहा फायदा होगा। दारापुरी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा की गयी मूल्यवृद्धि आपराधिक है और उसको संकटकालीन परिस्थिति में जनता को राहत देने के लिए तत्काल प्रभाव से पेट्रोल और डीजल के दामों में की गयी वृद्धि को वापस लेना चाहिए और पेट्रोलियम पदार्थों पर लगी एक्ससाइज ड्यूटी को समाप्त करना चाहिए।