लखनऊ
शिक्षक भर्ती घोटाले पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को नैतिकता के आधार पर इस्तीफ़ा दे देना चाहिए. उन्होंने आरक्षण और संविधान विरोधी कुंठा के कारण पिछड़े और अनुसूचित वर्ग के 18 हज़ार अभ्यर्थियों का जीवन बर्बाद कर दिया. इनमे से कई अभ्यर्थी अवसाद के कारण आत्महत्या कर चुके हैं तो कई लोगों के माँ-बाप भी नौकरी न मिलने के सदमें से मौत के मुंह में समा चुके हैं. इन मौतों के ज़िम्मेदार मुख्यमन्त्री खुद हैं.

ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 158 वीं कड़ी में कहीं.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि योगी सरकार ने सिर्फ़ पिछड़े और दलित अभ्यर्थियों के साथ ही छल नहीं किया बल्कि सामान्य वर्ग के 18 हज़ार अभ्यर्थियों को गलत तरीके से नौकरी देकर उनके सामने भी संकट पैदा कर दिया है कि नौकरी छिन जाने के बाद वो जीवन यापन के लिए क्या करेंगे. क्योंकि नौकरी मिल जाने के बाद इन अभ्यर्थियों ने किसी दूसरी नौकरी के लिए अप्लाई नहीं किया और उनकी उम्र भी निकल गयी. इसलिए योगी सरकार ने पिछड़े, दलित और सामान्य वर्ग के 36 हज़ार परिवारों के साथ छल किया है. योगी जी को इन परिवारों से माफी मांगते हुए इस्तीफ़ा दे देना चाहिए. जनता यह भी जानना चाहती है कि तत्कालीन शिक्षा मन्त्री सतीश दिवेदी के घर पर योगी जी का बुल्डोजर कब चलेगा.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इस मुद्दे पर भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पिछड़े नेता पिछड़ों को गुमराह करने के लिए हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करने का नाटक कर रहे हैं. ये नेता मुख्यमंत्री और सरकार के आरक्षण विरोधी मानसिकता पर सवाल उठाने के बजाए अधिकारियों पर ठीकरा फोड़ना चाहते हैं. इन नेताओं को पता है कि आरएसएस और भाजपा संविधान और आरक्षण विरोधी हैं फिर भी ये भाजपा के साथ हैं. उन्होंने कहा कि यह कैसे हो सकता है कि कोई भाजपा के साथ भी हो और आरक्षण का समर्थक भी हो. उन्होंने कहा कि ओम प्रकाश राजभर हाईकोर्ट के फैसले का समर्थन कर रहे हैं जबकि कुछ महीनों पहले ही आंदोलनरत छात्र- छात्राओं के दमन पर कहा था कि अभ्यार्थी पिटाई के ही लायक हैं.