योगी सरकार के रोजगार देने के दावे भ्रामक व झूठ पर आधारित: युवा मंच
- योगी सरकार के दावों की असलियत को उजागर करने के लिए युवा मंच ने शुरू किया अभियान
लखनऊ: योगी सरकार के रोजगार देने दावे भ्रामक व झूठ पर आधारित हैं। युवा मंच योगी सरकार के इन दावों की असलियत को उजागर करने के लिए युवा मंच ने प्रदेशव्यापी अभियान लांच किया है। इसी क्रम आज युवा मंच की ओर से एमएसएमई सेक्टर में 2 करोड़ रोजगार सृजन का सच विषय पर टिप्पणी जारी कर इनके इस 2 करोड़ रोजगार सृजन के दावे की असलियत को उजागर किया गया है। इसे लेकर प्रदेश भर में छात्रों व युवाओं से जनसंपर्क किया गया और सोशल मीडिया में भी अभियान चलाया गया। कल 5 बजे से ट्विटर पर हैशटैग #रोजगारआंदोलन_9अगस्तलखनऊ के साथ कैंपेन चलाया जाएगा।
एमएसएमई सेक्टर में 2 करोड़ रोजगार सृजन का सच
योगी सरकार द्वारा मिशन रोजगार के जारी प्रोपेगैंडा में एमएसएमई सेक्टर में 2 करोड़ रोजगार सृजन का दावा किया जा रहा है। इसके लिए बाकायदा बड़ी बड़ी होल्डिंग से लेकर अखबारों में विज्ञापन दिये गए हैं। इस दावे का सच जानने के लिए सरकार के मंत्रियों व सचिवों के बयानों को देखते हैं। हिंदुस्तान टाईम्स दिल्ली के आनलाईन संस्करण दिनांक 15 जुलाई 2021 को उत्तर प्रदेश सरकार में एमएसएमई सेक्टर के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह के बयान के अनुसार 2017-18 से अब तक 4 लाख करोड़ का निवेश हुआ है जिसमें 2.5 लाख करोड़ लोन शामिल है और इस सेक्टर से 2.6 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त हैं। इस बयान से यह स्पष्ट नहीं है कि इन 2.6 करोड़ लोगों में से कितना नया रोजगार सृजन है और उसमें कितने लोगों को इन ईकाइयों में प्रत्यक्ष रोजगार मिला है और कितने लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से मिला है।
दरअसल कोरोना की पहली लहर के बाद अन्य औद्योगिक ईकाइयों की तरह इन ईकाइयों में उत्पादन ठप्प हो गया है उसके बाद सरकार का दावा है कि उसके लोन पैकेज से इन ईकाइयों का पुनर्जीवित किया जा सका जिससे 2 करोड़ लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए। लेकिन इसमें नया रोजगार सृजन का प्रोपेगैंडा तो पूरी तरह से भ्रामक और झूठा है क्योंकि जब तक सरकार यह आंकड़ा पेश न करे कि इन ईकाइयों में 2017 में कितने लोगों को रोजगार मिला हुआ था और उसमें कितनी बढ़ोतरी हुई है तब तक यह स्पष्ट नहीं हो सकता कि किसी सेक्टर में रोजगार सृजन हुआ है कि रोजगार के अवसरों में गिरावट दर्ज हुई है।
जहां तक इस सेक्टर की जमीनी हकीकत है यह सेक्टर बर्बादी की ओर अग्रसर है, पहले नोटबंदी जीएसटी की मार से उबरा नहीं था कि कोरोना के बाद लाक डाऊन से पूरी तरह तबाह हो गया है। कहीं से भी सरकार की ओर अधिकृत आंकड़े नहीं हैं कि इस सेक्टर का उत्पादन और जीडीपी में हिस्सा बढ़ा है। राष्ट्रीय स्तर पर करीब 7 करोड़ लोग इस सेक्टर में लगे हैं उसमें 14 फीसद उत्तर प्रदेश का है लिहाजा यह संख्या तकरीबन एक करोड़ होती है। लेकिन यह एक करोड़ की संख्या भी नया रोजगार सृजन कतई नहीं है बल्कि पहले से ही लोग इसमें लगे हैं। रिपोर्ट यह भी है कि पहले से भी जो लोग इसमें काम कर रहे हैं उनके वेतन में भी गिरावट आयी है।
इस तरह एमएसएमई सेक्टर में 2 करोड़ रोजगार सृजन का प्रोपेगैंडा पूरी तरह से भ्रामक और झूठ पर आधारित है।
युवा मंच योगी सरकार द्वारा सरकारी मशीनरी व संसाधनों का बेजा इस्तेमाल कर प्रचारित किये जा रहे इसी तरह के तमाम झूठे दावों का पर्दाफाश करेगा और ईको गार्डेन लखनऊ में 9 अगस्त से शुरू हो रहे बेमियादी धरना में 5 लाख रिक्त पदों को भरने, हर युवा को गरिमापूर्ण रोजगार की गारंटी और रोजगार न मिलने तक बेकारी भत्ता के सवाल को उठाया जायेगा।