सामाजिक तनाव बढ़ाने में लगी योगी सरकार: आईपीएफ
- आईपीएफ की टीम ने हाथरस के भूलगढ़ी गांव में पीड़िता के परिवारजनों से की मुलाकात
- घटना की हाईकोर्ट की निगरानी में हो जांच, डीएम हाथरस के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग
हाथरस: हाथरस में हुई बर्बर एवं अमानवीय घटना में हर स्तर पर हुई लापरवाही के कारण बुरी तरह फंसी हुई योगी सरकार अब इस घटना के जरिए हाथरस समेत अगल बगल के तमाम जिलों में बड़े पैमाने पर सामाजिक तनाव को बढ़ाने की कार्रवाइयों को अंजाम दे रही है. सरकार के संरक्षण में लगातार अपराधियों के पक्ष में सभाएं हो रही है बैठकें हो रही है और सबक सिखाने की धमकियां दी जा रही है. वही विपक्षी दलों के नेताओं समेत मीडिया तक को बर्बर दमन का सामना करना पड़ा है. यह बात आज हाथरस गई ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की टीम ने प्रेस को जारी अपने बयान में कही. जांच टीम में आईपीएफ के नेता दिनकर कपूर, मजदूर किसान मंच के महासचिव डॉक्टर बृज बिहारी, वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश उपाध्यक्ष इंजीनियर दुर्गा प्रसाद, युवा मंच के प्रदेश सह संयोजक नागेश गौतम, आगरा के आईपीएफ नेता मुकंदी लाल नीलम व अभिलाष गौतम शामिल रहे.
टीम ने भूलगढ़ी गांव में पीड़िता के परिवारजनों से मुलाकात की और पीडिता के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की. जांच टीम को पीडिता के भाई सत्येंद्र वाल्मीकि ने बताया कि घटना के संज्ञान में आने के बाद वह उसे थाने ले गए. जहां महिला उत्पीड़न की घटना होने के बावजूद पुलिस ने महिला उत्पीड़न संबंधी एक भी धारा में मुकदमा पंजीकृत नहीं किया. इतना ही नहीं उसने बताया कि उन्हें अपने साधन टेंपो से पीड़िता को लेकर जिला अस्पताल और वहां से अलीगढ़ लेकर जाना पड़ा. निर्भया कांड के बाद बने जस्टिस जे. एस. वर्मा कमीशन की संस्तुतियों के अनुसार सीआरपीसी के संशोधनों के अनुरूप यह पूछने पर कि क्या पूरी घटना में किसी भी महिला पुलिस अधिकारी ने पीड़िता का बयान दर्ज किया तो परिवारजनों ने साफ इंकार किया और बताया कि आज तक उन्हें पुलिस और प्रशासन द्वारा पीड़िता की पोस्टमार्टम व मेडिकल रिपोर्ट और संशोधित एफआईआर तक नहीं दी गई है. लगातार उन्हें धमकियां दी जा रही है जिससे परिवार बेहद आतंकित है. परिवारजनों ने यह भी कहा कि उन्हें सीबीआई जांच पर कतई भरोसा नहीं है इसलिए सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जजों की निगरानी में बनी हुई टीम द्वारा ही जांच कराई जाए. पिता, माता व दोनों भाइयों ने कहा कि प्रशासन हमारे ऊपर बेवजह नारको टेस्ट कराने का दबाव बना रहा है जबकि वास्तविकता यह है कि पीड़िता के साथ जो घटना हुई है उसके एक-एक तथ्य और जिस तरह से उसकी लाश को जलाया गया वह खुद ब खुद सच्चाई को बयां कर रहे हैं की पीड़िता के साथ बर्बर व्यवहार हुआ है.
जांच टीम ने इसके बाद हाथरस के नागरिकों से भी बात की जिनका यह कहना था कि हाथरस का पूरा सामाजिक वातावरण बेहद तनावपूर्ण हो गया है. जांच टीम ने यह भी पाया की निर्भया कांड के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिए जो 181 वूमेन हेल्पलाइन जैसी योजनाएं चलाई गई थी उन्हें यदि सरकार बंद न करती तो शायद हाथरस में जिस तरह का व्यवहार पीड़िता के साथ घटित हुआ उससे बचा जा सकता था.
इस संबंध में जांच टीम विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके आईपीएफ के राष्ट्रीय नेतृत्व को सौंपेगा और हाईकोर्ट की स्वत: संज्ञान याचिका में भी इस जांच रिपोर्ट को दाखिल किया जाएगा.