केवल विज्ञापनों तक ही सीमित हैं योगी सरकार के रोज़गार के दावे
राजेश सचान, संयोजक युवा मंच
सरकारी संसाधनों का अपव्यय कर अखबारों में पूरे पेज का विज्ञापन के द्वारा सरकारी नौकरी और रोजगार के आंकड़े पेश करने से प्रदेश में जारी रोजगार के भयावह संकट की असलियत को छिपाया नहीं जा सकता है ! इतना कहना ही पर्याप्त है कि सरकार बनने के बाद सरकारी नौकरी के लिए नये विज्ञापन पुलिस को छोड़ दिया जाये तो नाममात्र के ही निकले हैं। एक लाख सैंतीस हजार शिक्षा मित्रों की बर्खास्तगी के बाद हो रही भर्ती को नई भर्ती के बतौर पेश किया जा रहा है। इस भर्ती के अलावा पुलिस के अलावा ज्यादातर भर्तियां इस सरकार के कार्यकाल में शुरू नहीं की गई हैं। उसमें स्वास्थ्य विभाग में संविदा पर जो भर्ती हुई हैं उन्हें भी सरकारी नौकरी बता कर पेश किया जा रहा है।
इसी तरह कोरोना काल में बताया जा रहा है कि सवा करोड़ असंगठित मजदूरों को रोजगार दिया गया। इसमें 75 लाख से ज्यादा मनरेगा के मजदूर परिवार शामिल हैं। मनरेगा में रूटीन काम जैसा कि होता आया है उसी तरह इस साल भी हो रहा है और मौजूदा वित्तीय वर्ष के इन 6 महीनों में औसतन 5 दिन प्रति माह की दर से काम मिला है। इसके अलावा जो योजनाएं चलाई जा रही हैं उनका तो कहीं अता पता ही नहीं है। रोजगार के मामले में योगी सरकार जो प्रोपेगैंडा कर रही है उसकी हकीकत प्रदेश का युवा तो जानता ही है बल्कि उसकी असलियत आम जनता के भी सामने आ गई है। इसी से सरकार परेशान है और लोगों की जिंदगी की परेशानियों की जो असलियत है उस पर पर्दा डालने के लिए अखबारी विज्ञापन के माध्यम से प्रचार कर भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है लेकिन इसमें अब कामयाबी मिलने वाली नहीं है। इसी तरह सरकार भर्तियों में पारदर्शिता का दावा करती है, भाई कौन नहीं जानता कि लोक सेवा आयोग की इनके द्वारा नियुक्त परीक्षा नियंत्रक को पेपर लीक कराने के गंभीर आरोप में जेल भेजा गया, चयन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार, भाईभतीजावाद तो अरसे से रहा है लेकिन योगी सरकार में चरम पर पहुंच गया यह किसी से छिपा नहीं है और यही वजह है कि चयन प्रक्रिया में विवादों की भरमार है और उन्हें हल कराने के बजाय सरकार की दिलचस्पी भर्तियों को लटकाये रखने में ही ज्यादा जान पड़ती है। 69000 शिक्षक भर्ती इसका ज्वलंत उदाहरण है।
17 सितंबर के रोजगार के अधिकार के लिए देशव्यापी आंदोलन के बाद खासकर इलाहाबाद के बालसन पर युवा मंच के बैनर तले हजारों छात्रों के प्रदर्शन, लाठीचार्ज व गिरफ्तारी के बाद जनदबाव में मुख्यमंत्री योगी जी ने समस्त रिक्त पदों पर 6 महीने में नियुक्ति पत्र देने संबंधी बयान दिया था। लेकिन चयन बोर्ड समेत जिन विभागों में 3.5 साल से कोई नया विज्ञापन नहीं आया है और आंदोलन के बाद गत वर्ष अधियाचन आ भी चुका है वहां विज्ञापन जारी करने में देरी समझ से परे है। इसी दरम्यान जब रोजगार के अधिकार के लिए युवाओं में एकजुटता बन रही थी उसी समय चयन प्रक्रिया से जुड़े विवादों में फिर एक बार युवाओं को उलझाया जा रहा है। यूपीपीसीएस में स्केलिंग विवाद व पारदर्शिता के मुद्दे के गरमाने के आसार हैं, 69000 शिक्षक भर्ती में नये विवाद जानबूझकर कर पैदा किये जा रहे हैं, यही हाल अन्य भर्तियों का है।
इसलिए सरकार की इन युवाओं की एकजुटता को कमजोर करने वाली कार्यवाही से सचेत रहते हुए रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने और रोजगार का अधिकार हासिल करने की शुरू हुए आंदोलन को और व्यापक बनाने और अंजाम तक पहुंचाने की जरूरत है। अगर आप रोजगार के अधिकार के लिए शुरू हुई इस मुहिम अथवा युवा मंच से जुड़ना चाहें तो वाट्सएप नंबर 9451627649 या कमेंट बॉक्स में अपना नाम व पता भेज सकते हैं। आप से यह भी अनुरोध है कि इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए अपने विचार व सुझाव भी दें।