WTC फाइनल: भारत के पास 1979 का दर्द भुलाने का बेहतरीन मौका
तौक़ीर सिद्दीक़ी
लंदन के ओवल मैदान पर विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल का जब चौथा दिन ख़त्म हुआ तो मैच जीतने के लिए टीम इंडिया के पास 280 रनों का लक्ष्य बचा था और अभी उसके हाथ में 7 विकेट बचे हैं, क्रीज़ पर विराट कोहली और पिछली पारी के सबसे कामयाब बल्लेबाज़ अजिंक्य रहाणे मौजूद हैं. दोनों के बीच 71 रनों की साझेदारी हो चुकी है, जिसका मतलब ये भी है कि दोनों की निगाहें जम चुकी है और इन दोनों के बीच एक बड़ी साझेदारी इतिहास रच सकती है. इतिहास न सिर्फ भारत के लिए अपना पहला टेस्ट चैंपियनशिप खिताब जीतने का बल्कि टेस्ट क्रिकेट में सबसे बड़ा जीत का लक्ष्य हासिल करने का.
टीम इंडिया ने ओवल में अगर ये कारनामा कर दिया तो 147 के टेस्ट क्रिकेट इतिहास में ये पांचवां मौका होगा जब कोई टीम लक्ष्य का पीछा करते हुए 400 से ज़्यादा रन बनाकर जीत हासिल करे. भारत अगर इस जीत को हासिल करता है तो वो सबसे बड़ा यानि 444 रनों का लक्ष्य हासिल करेगी। अभी सबसे बड़ा लक्ष्य हासिल करने का कीर्तिमान वेस्टइंडीज के नाम है जिसने 2003 में St John’s में ऑस्ट्रेलिया के 418 रन बनाकर तीन विकेट से जीत हासिल की थी. 400+रनों का लक्ष्य सबसे पहले 1948 में लीड्स में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड के खिलाफ हासिल किया था, तब ऑस्ट्रेलिया ने चौथी पारी में तीन विकेट पर 404 रन बनाकर जीत हासिल की थी, इसके बाद 1976 में भारत ने ये कारनामा अंजाम दिया और वेस्टइंडीज को पोर्ट ऑफ़ स्पेन में चार विकेट पर 406 रन बनाकर कामयाबी हासिल की. अंतिम बार ये कारनामा साउथ अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2008 में पर्थ में अंजाम दिया था, जब उसने चार विकेट पर 414 रन बनाकर जीत हासिल की थी.
अब 15 साल बाद भारत के पास दूसरी बार ऐसा मौका आया है जब वो 444 रनों का लक्ष्य हासिल कर ऐसा कारनामा दो बार करने वाली दुनिया की पहली टेस्ट टीम बन सकती है. हालाँकि टीम इंडिया के लिए ये मुकाम हासिल करना आसान नहीं है लेकिन नामुमकिन भी नहीं। टीम इंडिया ने जिस सकारात्मक तरीके से अब तक चौथी पारी में बल्लेबाज़ी की है उससे तो यहीं लगता है कि रोहित शर्मा की सेना मैच जीतने के लिए काफी उत्साहित है. रोहित शर्मा और शुभमन गिल ने जिस अंदाज़ में पारी शुरू की थी वो आम तौर पर ODI में देखने को मिलती है, टीम इंडिया एक समय एक विकेट पर 93 रन बनाकर बहुत मज़बूत स्थिति में थी लेकिन ताबड़तोड़ रोहित और पुजारा के विकेट निकलने से थोड़ी रूकावट ज़रूर पैदा हुई लेकिन बाद में विराट कोहली और अजिंक्य अपने रंग में नज़र आने लगे.
भारत को अंतिम दिन जीत के लिए 286 रन चाहिए जो 90 ओवरों में आसानी से हासिल किये जा सकते हैं। विराट और रहाणे अभी क्रीज़ पर हैं, ज़रुरत इस जोड़ी की मज़बूती के साथ आगे बढ़ने की है, ये जोड़ी जितना बड़ा योगदान करेगी, भारत के लिए जीत उतनी ही आसान हो जाएगी। इस जोड़ी के बाद भी विकेटकीपर भरत, रविंद्र जडेजा और शार्दुल ठाकुर हैं, विशेषकर शार्दुल ठाकुर जिनका बल्ले के साथ ओवल मैदान पर बहुत अच्छा रिकॉर्ड है, जडेजा ने भी पिछली पारी में काफी प्रभावी बल्लेबाज़ी की थी, भरत ने ज़रूर मायूस किया था, ऐसे भारत के लिए इतिहास रचने की बहुत कुछ ज़िम्मेदारी विराट और रहाणे पर ही आती है. इस जोड़ी ने अगर आज लंच तक टीम को संभाले रखा तो फिर ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों के कंधे गिर जायेंगे और फिर भारतीय बल्लेबाज़ खुलकर हमला कर सकते हैं, ओवल में टीम इंडिया पहले भी 400+ का स्कोर इससे पहले बना चुकी है ये अलग बात है कि तब जीत नहीं मिल पाई थी. 1979 में वेंकट राघवन की कप्तानी में गयी भारतीय टीम को इंग्लैंड के खिलाफ जीत के लिए 438 रनों का लक्ष्य मिला था और भारतीय टीम आठ विकेट पर 429 रन बना पायी थी, मैच का समय समाप्त हो गया था और एक ऐतिहासिक जीत से भारत महरूम रह गया था. उस पारी में महान गावस्कर ने दोहरा शतक जड़ा था. सिर्फ 9 रनों से जीत हासिल न कर पाने की पीड़ा आज भी है, उम्मीद है कि इसबार जीत हासिल कर 1979 की पीड़ा पर मलहम लगाने में रोहित आर्मी ज़रूर कामयाब होगी।
ज़रुरत गावस्कर जैसी एक पारी खेलने की है, सवाल यही है कि वो पारी कौन खेलेगा, विराट कोहली या अजिंक्य रहाणे।