एक देश एक चुनाव की वकालत करने वाले भारत के निर्वाचन आयोग की लाचारी उसके फैसलों में साफ़ झलकती है. उसने अभी हाल में हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा की लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा के चुनावों की घोषणा नहीं जबकि पिछले तीन चुनाव हरियाणा और महाराष्ट्र में एकसाथ हुए थे. महाराष्ट्र तो छोड़िये, इस समय 12 राज्यों में विधानसभा की 45 और लोकसभा की एक सीट रिक्त है, उसे भी कराने में निर्वाचन आयोग असमर्थ है और अपने फैसले के समर्थन में अजीबोगरीब तर्क दे रहा है जो उसी की बातों को काट रहे हैं, एक राज्य में त्योहारों का जो मौसम चुनाव के लिए अनुकूल बताया जाता है तो वही त्योहारों का मौसम दूसरे राज्य में चुनाव प्रक्रिया में बाधक बन जाता है. फिलहाल आयोग ने रिक्त सीटों पर उपचुनाव न कराने के पीछे मौसम और समय की मियाद को वजह बताया है. हालांकि, आयोग के इन दोनों तर्कों को उनके पुराने ही रिकॉर्ड्स गलत साबित कर रहे हैं. 2019 में लोकसभा की एक और विधानसभा की 64 सीटों पर सितंबर में ही आयोग ने उपचुनाव कराए थे. 2014 और 2009 में भी सितंबर-अक्टूबर के महीने में ही उपचुनाव कराए गए थे.

उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव प्रस्तावित है. जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें करहल, कुंदरकी, कटेहरी, मिल्कीपुर, मीरापुर, खैर, गाजियाबाद सदर, फूलपुर, सीसामऊ और मझवां सीट है. सभी सीट या तो विधायकों के इस्तीफा देने या सदस्यता रद्द होने की वजह से रिक्त हुई है. बिहार में विधानसभा की 4 सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इनमें भोजपुर की तरारी, जहानाबाद की बेलागंज, गया की इमामगंज और कैमूर की रामगढ़ सीट शामिल हैं. सभी सीट विधायकों के सांसद चुने जाने की वजह से रिक्त हुई है. मध्य प्रदेश की बुधनी और विजयपुर विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होने हैं. बुधनी से शिवराज सिंह चौहान विधायक थे, जो सांसद बन गए हैं. विजयपुर से कांग्रेस के रामनिवास रावत ने 2023 में जीत दर्ज की थी. रावत अब बीजेपी में चले गए हैं.

इसी तरह राजस्थान में विधानसभा की 6 सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इनमें दौसा, देवली उनियारा, खींवसर, चौरासी, सलंबूर और झुंझुनू सीट शामिल हैं. 6 में से 5 सीट इंडिया गठबंधन और एक सीट बीजेपी के पास थी. कर्नाटक में भी विधानसभा की 3 सीटें (हावेरी की शिगांग, बेल्लारी की संदूर, रामानगर की चनपटना) हैं. इन 3 सीटों पर भी उपचुनाव होने हैं. तीनों ही सीट विधायकों के सांसद बन जाने की वजह से रिक्त हुई है. केरल में लोकसभा की एक (वायनाड) और विधानसभा की 3 सीटों पर उपचुनाव प्रस्तावित है. विधानसभा की जिन 3 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें पल्लकड़, चेल्लाकड़ा और देवीकुल्लम सीट शामिल हैं.

वहीँ छत्तीसगढ़ में विधानसभा की एक सीट पर उपचुनाव प्रस्तावित है. यह सीट रायपुर दक्षिण की है. यहां के विधायक बृजमोहन अग्रवाल सांसद चुन लिए गए हैं. पश्चिम बंगाल विधानसभा की सिताई, मदारिहाट, नैहाटी, हरोड़ा, मेदिनीपुर और तालदांगरा सीट रिक्त है. इन सभी पर उपचुनाव प्रस्तावित है. असम की धोलई, सिदली, बनगांव, बेहली और समगुरी सीट रिक्त है. इन सीटों पर भी उपचुनाव कराए जाने हैं. इसी तरह उत्तराखंड की केदारनाथ सीट भी रिक्त है. पंजाब में विधानसभा की 4 सीटें रिक्त हैं. इनमें डेरा बाबा नानक, छब्बेवाल, गिदरबाहा और बरनाला की सीट शामिल हैं. सभी सीट विधायकों के सांसद चुने जाने की वजह से रिक्त हुई है.

बता दें कि जन प्रतिनिधित्त्व अधिनियम, 1951 के भाग 9 में उपचुनाव के बारे में जिक्र है. इसके आर्टिकल 149 में लोकसभा की रिक्तियां और आर्टिकल 150 में विधानसभा में हुए आकस्मिक रिक्तियां के बारे में कहा गया है. आर्टिकल 151 में उपचुनाव कराए जाने की बात भी कही गई है. इसके मुताबिक निर्वाचित जनप्रतिनिधि के इस्तीफा देने, सदस्यता रद्द होने और आकस्मिक निधन की वजह से जब कोई सीट रिक्त होती है, तो उस दिन से 6 महीने के भीतर वहां उपचुनाव कराना अनिवार्य है. हालांकि, 2 वजहों से निर्वाचन आयोग वहां चुनाव नहीं भी करा सकता है. जो पद रिक्त हुआ है, उसका कार्यकाल सिर्फ 1 साल का बचा है तो आयोग इस सीट पर चुनाव नहीं भी करा सकता है. – अगर केंद्र से परामर्श करने के बाद आयोग को लगता है कि इस सीट पर चुनाव कराना कठिन है.

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के साथ-साथ इन सीटों पर उपचुनाव नहीं कराने को लेकर जब मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार से सवाल पूछा तो उन्होंने इसको लेकर 2 जवाब दिए. पहला, इन सीटों पर उपचुनाव कराने की मियाद अभी पूरी नहीं हुई है. उपचुनाव नहीं कराने को लेकर आयोग ने दूसरा तर्क मौसम का दिया. आयोग का कहना था कि केरल और बिहार जैसे राज्य अभी बाढ़ से प्रभावित हैं, इसलिए यहां हम अभी उपचुनाव नहीं करा रहे हैं. जिन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, वो सभी सीटें जून या उसके बाद रिक्त हुई है. ऐसे में इन सीटों पर दिसंबर 2024 तक उपचुनाव कराया जा सकता है. यही वजह है कि आयोग ने सितंबर-अक्टूबर में इन सीटों पर उपचुनाव की घोषणा नहीं की है. मुख्य चुनाव आयुक्त के उपचुनाव न कराने को लेकर भले नियमों का हवाला दिया जा रहा हो लेकिन देश में अब तक विधानसभा या लोकसभा के चुनाव के साथ उस वक्त की सभी रिक्त सीटों पर उपचुनाव कराने की परंपरा रही है. हाल ही में लोकसभा चुनाव के दौरान हिमाचल प्रदेश की उन 6 विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव की घोषणा कर दी गई, जो एक महीने पहले ही रिक्त हुई थी. इतना ही नहीं, इन सीटों के रिक्त होने का मामला हाईकोर्ट में पेंडिंग भी था. साल 2019 के लोकसभा चुनाव बाद विधानसभा की 64 और लोकसभा की एक सीटों पर चुनाव आयोग ने सितंबर में ही चुनाव कराए थे. वर्तमान में जिन राज्यों में उपचुनाव होने हैं, उस वक्त भी उन राज्यों में ही उपचुनाव प्रस्तावित थे.