राफेल डील में किसे दिए गए करोड़ों के ‘गिफ्ट’? कांग्रेस ने मोदी सरकार से पूछे पांच सवाल
नई दिल्ली: राफेल डील में भ्रष्टाचार की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। दरअसल फ्रांस के पब्लिकेशन मीडियापार्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत-फ्रांस के बीच राफेल डील को लेकर दसॉ एविएशन ने भारत में एक बिचौलिये को 1.1 मिलियन यूरो दिए थे।
किसे मिले 1.1 मिलियन यूरो के गिफ्ट
कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी पहले भी राफेल सौदे में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं । अब इस रिपोर्ट के आने के बाद सौदे में गड़बड़ी के संकेत मिल रहे हैं, जिसको लेकर कांग्रेस मोदी सरकार पर सवाल खड़े कर रही है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सवाल पूछा है कि 60 हजार करोड़ रुपए की राफेल डील में 1.1 मिलियन यूरो के गिफ्ट किसे दिए गए?
भारत के बिचौलिए को मिले पैसे
दरअसल फ्रांस के पब्लिकेशन मीडियापार्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत-फ्रांस के बीच राफेल डील को लेकर दसॉ एविएशन ने भारत में एक बिचौलिये को 1.1 मिलियन यूरो दिए थे। इसका खुलासा फांस की एंटी करप्शन एजेंसी ने की है, एजेंसी ने दसॉ के खातों का ऑडिट किया था, जिसमें इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में दावा है कि साल 2017 में दसॉ ग्रुप के अकाउंट से 508925 यूरो ‘गिफ्ट टू क्लाइंट्स’ के तौर पर ट्रांसफर हुए थे।
Gift to Clients
रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “इस पूरे लेन-देन को Gift to Clients की संज्ञा दी गई। अगर ये मॉडल बनाने के पैसे थे, तो इसे Gift to Clients क्यों कहा गया? क्या ये छिपे हुए ट्रांजेक्शन का हिस्सा था। ये पैसे जिस कंपनी को दिए गए, वो मॉडल बनाती ही नहीं हैं।” उन्होंने कहा, “60 हजार करोड़ रुपए के राफेल रक्षा सौदे से जुड़े मामले में सच्चाई सामने आ गई है। ये हम नहीं फ्रांस की एक एजेंसी ने खुलासा किया है।”
मोदी सरकार पांच सवाल
फ्रांस के पब्लिकेशन मीडियापार्ट के रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार से पांच सवाल भी पूछे हैं।
- 1.1 मिलियन यूरो के जो क्लाइंट गिफ्ट दसॉ के ऑडिट में दिखा रहा है, क्या वो राफेल डील के लिए बिचौलिये को कमीशन के तौर पर दिए गए थे?
- जब दो देशों की सरकारों के बीच रक्षा समझौता हो रहा है, तो कैसे किसी बिचौलिये को इसमें शामिल किया जा सकता है?
- क्या इस सबसे राफेल डील पर सवाल नहीं खड़े हो गए हैं?
- क्या इस पूरे मामले की जांच नहीं की जानी चाहिए, ताकि पता चल सके कि डील के लिए किसको और कितने रूपए दी गए?
- क्या प्रधानमंत्री इस पर जवाब देंगे?