निवेशकों के लिए स्ट्रेस टेस्ट का क्या मतलब है?
अश्विन पाटनी, हेड प्रोडक्ट्स एंड ऑल्टरनेटिव्स, एक्सिस एएमसी
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) ने मार्च 2024 से एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसी) के लिए अपनी छोटी और मिड-कैप फंड योजनाओं पर स्ट्रेस टेस्ट करना अनिवार्य बना दिया है। ये टेस्ट हाई रिडेम्पशन (उच्च निकासी) के दबावों को संभालने के लिए फंड की क्षमता का आकलन करते हैं, जिससे निवेशकों को तरलता जोखिम के बारे में ज़रूरी अंतर्दृष्टि मिलती है। इस टेस्ट का उद्देश्य है, एक ऐसे परिदृश्य का अनुकरण करना, जब निवेशकों का बड़ा हिस्सा अपनी यूनिट भुनाए और ऐसा तब हो जब बाज़ार में गिरावट हो या फिर जब निवेशकों का विश्वास घटे। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, टेस्ट दो मापदंडों पर होगा; पहला, पोर्टफोलियो का 25% भुनाने के लिए आवश्यक समय का आकलन करना और दूसरा, पोर्टफोलियो का 50% भुनाने के लिए आवश्यक समय का आकलन करना।अश्विन पाटनी, हेड प्रोडक्ट्स एंड ऑल्टरनेटिव्स, एक्सिस एएमसी
आंकड़ों से परे समग्र दृष्टिकोण अपनाना
निवेश को भुनाने के लिए आवश्यक दिनों की संख्या, महत्वपूर्ण आंकड़ा है, लेकिन किसी फंड की तरलता की व्यापक समझ के लिए अन्य कारकों पर विचार करना ज़रूरी है। यहां कुछ प्रमुख मापदंड दिए गए हैं, जिन्हें निवेशक को ध्यान में रखना चाहिए।
- नकदी और बॉटम-हेवी पोर्टफोलियो: मान लें कि किसी योजना में नकदी या लार्ज-कैप शेयरों में अपेक्षाकृत अधिक आवंटन है, जिन्हें आम तौर पर अधिक तरल माना जाता है। इससे संकेत मिलता है कि फंड की निकासी को संभालने की क्षमता से लैस हैं, क्योंकि पर्याप्त मात्रा में नकदी की उपलब्धता निवेश को भुनाने के दौरान बफर के रूप में काम कर सकती है।
- जोखिम के उपाय: किसी स्टॉक का बीटा, उतार-चढ़ाव के प्रति उसकी प्रतिक्रिया का संकेत होता है। आम तौर पर, 1 से कम बीटा वाले शेयरों को वाह्य उतार-चढ़ाव से कम प्रभावित और इसके विपरीत 1 से अधिक वाले को ज़्यादा प्रभावित माना जाता है। कम बीटा बताता है कि फंड का प्रदर्शन बेंचमार्क से कम विचलित हो सकता है और संभावित रूप से कुछ स्थिरता प्रदान कर सकता है। इसलिए, निवेशकों को यह निर्धारित करने के लिए पोर्टफोलियो के समग्र बीटा पर विचार करना चाहिए कि मोचन की स्थिति में योजना पर कितना प्रभाव पड़ेगा। पोर्टफोलियो की होल्डिंग के अंतर्निहित जोखिम को समझने के लिए मूल्य-आय अनुपात (पीई अनुपात) एक अन्य पहलू है जिस पर विचार किया जाना चाहिए।
- दीर्घकालिक रुझान को समझें: केवल ताज़ा स्ट्रेस टेस्ट के परिणामों पर ध्यान केंद्रित न दें। विश्लेषण करें कि समय के साथ तरलता में कैसा बदलाव आई है। यदि तरलता में गिरावट जारी रही तो आज जो आंकड़े अच्छे दिख रहे हैं वे शायद भविष्य में सच साबित न हो।
- एकाग्रता स्तर: उच्च या बढ़ती निवेशक एकाग्रता से विभिन्न किस्म के जोखिम पैदा होने की संभावना होती है। इसके अलावा, यदि कम निवेशकों के पास फंड का बड़ा हिस्सा हो तो तरलता प्रभावित हो सकती है। यदि कुछ बड़े निवेशक अपनी यूनिट को भुनाते हैं, तो इससे बहुत असर हो सकता है। निवेशकों के लिए लार्ज-कैप शेयरों में नकदी रखने के साथ-साथ इस पहलू पर भी विचार करना ज़रूरी है। इसके अलावा, यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि फंड की जोखिम लेने और निपटने की क्षमताओं को समझने के लिए बाज़ार में गिरावट के दौरान फंड ने कैसा प्रदर्शन किया है।
निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण उपाय
निवेशकों को यह समझना चाहिए कि छोटे और मिड-कैप फंड की तरलता और जोखिम प्रोफाइल का आकलन करने के लिए स्ट्रेस टेस्ट उल्लेखनीय ज़रिया है। अन्य प्रासंगिक आंकड़ों के साथ-साथ स्ट्रेस टेस्ट के परिणाम को समझकर, निवेशक अपने छोटे और मिड-कैप म्यूचुअल फंड निवेश के बारे में समझ-बूझ कर फैसला कर सकते हैं। इसके अलावा, स्ट्रेस टेस्ट अब बस एक बार करने वाली चीज़ नहीं है। एएमसी इसे अपनी दीर्घकालिक जोखिम प्रबंधन रणनीतियों से जोड़ रहे हैं, और वे ऐसे टेस्ट की लगातार निगरानी करेंगे और इसके अनुसार आवश्यकतानुसार अपनी नीतियों को समायोजित करेंगे।
इसका मतलब है कि निवेशकों को सिर्फ मुख्य आंकड़े ही नहीं इससे परे भी देखना चाहिए और जोखिम-समायोजित रिटर्न के लक्ष्य के लिए ऊपर दिए गए मापदंडों पर विचार करना चाहिए। किसी फंड की वास्तविक तरलता और बाज़ार में आए भारी उतार-चढ़ाव का सामना करने की क्षमता का आकलन करने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाना ज़रूरी है। बाज़ार के शोर का शिकार बनना आसान है, लेकिन ज़रूरी यह है कि अधिक विवेकपूर्ण तरीके से निवेश से जुड़े फैसले किये जाएं जो व्यक्तिगत जोखिम सहनशीलता और निवेश लक्ष्यों के अनुरूप हों।