लखनऊ:
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस की पूर्व संध्या पर ऑनलाइन संगोष्ठी “Doctors and their self-healing mantras” का आयोजन किया | संगोष्ठी में मुख्य वक्ता गणों के रूप में डा० पियाली भट्टाचार्य, बाल रोग विशेषज्ञ, एस.जी.पी.जी.आई., लखनऊ, डा० पी. के. गुप्ता, पूर्व अध्यक्ष, आई.एम.ए., लखनऊ, डा० वेद प्रकाश, विभागाध्यक्ष, पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन, के.जी.एम.यू., ने सहभागिता की व संयोजन सुश्री सेल्वी शारदा, वरिष्ठ पत्रकार, ने किया |

डा० पियाली भट्टाचार्य ने डॉक्टर के जीवन के संघर्ष के बारे में बताते हुए कहा कि, जब हम मेडिकल प्रोफेशन में आने के लिए मेहनत करते हैं पैसा खर्च करते हैं और डॉक्टर बन कर शपथ लेते हैं तब हम यह सोच लेते हैं कि अब हमें बिना किसी स्वार्थ के लोगों की सेवा करनी है | मगर हम डॉक्टर हैं भगवान नहीं जब सारे प्रयास करने के बाद किसी को सकारात्मक नतीजे नहीं निकाल पाते तब हमें लोगों की नकारात्मकता का सामना करना पड़ता है | हमें अंदर से दुख होता है तब अपने आप को शांत करने के लिए मैं संगीत का सहारा लेती हूं, मंत्र पढ़ती हूं जिससे मुझे मन की शांति मिलती है |

डा० पी. के. गुप्ता ने बताया कि, आजकल डॉक्टर के ऊपर बहुत प्रेशर होता है नई पीढ़ी को यह समझना चाहिए कि उन्हें डॉक्टर के पेशे में बहुत ज्यादा डेडीकेशन की जरूरत होती है | हर डॉक्टर को शुरुआत में 12 से 18 घंटे काम करना पड़ता है | आज तकनीकी युग में टेक्नोलॉजी इतनी बढ़ गई है कि आज हर प्रोफेशन बदल चुका है हमारे डॉक्टर के पेशे में हमें बहुत संभल कर चलना पड़ता है और अपने मरीजों के लिए पूर्ण रूप से समर्पित होना पड़ता है जब मैं अवसाद या गुस्से में होता हूं तो मुझे बागवानी करना पसंद है |

डा० वेद प्रकाश ने बताया कि क्रिटिकल केयर यूनिट में हमें मरीजों का खास ख्याल रखना पड़ता है तथा कभी-कभी सारे प्रयासों के बावजूद हम मरीज को बचा नहीं पाते तब हमें अवसाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और हमें इससे निपटने के लिए हमें अपनी मानसिक स्थिति को मजबूत करना पड़ता है |

संयोजिका सुश्री शैलवी शारदा ने डॉक्टर डे की सभी को बधाई दी | कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल, न्यासी डा० रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट की आतंरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री मुकेश शारदा की विशेष उपस्थिति रही |