हीरे का मोल आप क्या जानें!
राजेंद्र शर्मा का व्यंग्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन की पत्नी को 2023 में सबसे महंगा तोहफा दिया था।
थैंक यू मोदी जी, आपने भारत को दुनिया से विश्व गुरु मनवा ही लिया। अब प्लीज कोई इसमें भी चुनाव-वुनाव की डिमांड को मत घुसा देना कि किस मतदान में भारत को विश्व गुरु चुना गया है। विश्व गुरु कोई मामूली कुर्सी का मामला थोड़े ही है कि वोट से चुनाव की तरह फैसला कराया जाएगा। यह तो दुनिया के दिल से निकलने वाली आवाज का मामला है। और अमरीका के दिल से निकली आवाज भी अगर दुनिया के दिल की आवाज नहीं है, तो दुनिया के दिल की आवाज और कैसी होगी। जैसे हाथी के पांव में सब का पांव, वैसे ही अमरीका के दिल की आवाज में, सारी दुनिया के दिल की आवाज। और अमरीका के दिल की आवाज, उसकी प्रथम महिला के दिल की आवाज से अलग तो होने से रही।
अब मोदी जी ने सबसे बड़ा यानी सबसे महंगा गिफ्ट दिया है, तो अमरीका के दिल की आवाज और कुछ कैसे हो सकती है। फिर मोदी जी ने सिर्फ सबसे महंगा गिफ्ट ही नहीं दिया है। दुनिया की सबसे ताकतवर प्रथम महिला के दिल को सबसे भाने वाला गिफ्ट भी तो मोदी जा का ही रहा – साढ़े सात कैरेट का हीरा! हीरा, जो सदा-सदा के लिए है! जब गिफ्ट देने में मोदी जी दुनिया में नंबर वन हैं, फिर विश्व गुरु उनके सिवा और कोई कैसे हो सकता है?
लेकिन, एक बात कहनी पड़ेगी। अमरीकी दुनिया भर में सबसे ताकतवर हो गए होंगे। अमरीकी दुनिया भर में सबसे अमीर होंगे। लेकिन, संस्कृति और संस्कार के मामले में, उन्हें हमारे भारत से अभी बहुत कुछ सीखना है। अब बताइए! अमरीकी ये कैसी आदिम किस्म की व्यवस्था चला रहे हैं कि गिफ्ट का सम्मान करने की जगह अपमान कर दिया। इनसे कोई पूछे कि क्या गिफ्ट की कीमत आंकी जाती है? मान का पान हो या मान का हीरा, पाने वाले को सब को एक नजर से देखना चाहिए। आखिर, सम्मान तो सम्मान है। हमारे संस्कार तो यही कहते हैं। इसलिए तो, मोदी जी ने हीरा दिया और छोटा-मोटा नहीं, लाखों का हीरा दिया, मगर मजाल है, जो अपने देश में किसी को इसकी हवा लगने दी हो कि किसे क्या दिया? हमारे संस्कार गुप्तदान वाले ठहरे। हीरा देने की बात अगर थोड़े-बहुत लोगों को पता भी चल गयी हो, तब भी मोदी जी ने इसकी किसी को हवा नहीं लगने दी कि हीरा कितने का था। कीमत की छोड़ो, मोदी जी ने यहां इसकी भी हवा नहीं लगने दी है कि उन्होंने ये गिफ्ट दिया किस के पैसे से था? अपनी तनख्वाह में से या सरकारी खजाने से या कोई स्पांसर पकड़ कर।
और तो और, उनके हीरे के गिफ्ट ने जब वर्ल्ड रिकार्ड बना दिया, तब भी मोदी जी ने एक सौ चालीस करोड़ भारतीयों को एक छोटी-सी बधाई तक नहीं दी कि उनके गिफ्ट ने वर्ल्ड रिकार्ड बनाया है। गिफ्ट दिया और बदले में कुछ मांगना, कुछ चाहना तो दूर, गिफ्ट दिया और भूल गए। इसी को तो कहते हैं संस्कारी गिफ्ट दान।
और अमरीकियों ने क्या किया? गिफ्ट का सम्मान करना भूलकर, लगे उसके दाम लगवाने। और वह भी गुपचुप नहीं, एलानिया। सारी दुनिया में ढोल पीट दिया कि किसने उनके यहां कब, किसे, कितने का और क्या गिफ्ट दिया था? लोग गलत नहीं कहते हैं, ये व्यापार की ही भाषा समझते हैं। उनके संस्कार में व्यापार ही है। गिफ्ट का दाम लगाकर उसे व्यापार बना दिया। और व्यापार है, तो होड़ भी होगी। इसीलिए तो सारी दुनिया को ढोल पीट-पीटकर बता रहे हैं कि मोदी जी ने जो हीरा दिया, 20,000 डॉलर का था यानी तेल वाले शाहों वगैरह के गिफ्ट से भी ज्यादा कीमती! हमें नहीं लगता कि दूसरे देशों के नेता हमारी उदारता को ठीक से ले भी पाएंगे। वो तो ये ही सोचेंगे कि प्रतिव्यक्ति आय में दुनिया में सवा सौ-डेढ़ सौवां नंबर, फिर भी गिफ्ट देने में दुनिया में नंबर वन! अब मोदी जी किस-किस को समझाते फिरेंगे कि ये हम हिंदुस्तानियों के दिल बड़े होने का मामला है। मेहमान नवाजी हो तो, और गिफ्ट-विफ्ट देना हो तो, हम अपनी औकात नहीं देखते हैं, बस दिल खोल देते हैं। हमारे संस्कार ही ऐसे हैं।
पर अमरीका वालों ने हद्द ही कर रखी है। सुना है कि मोदी जी ने जो हीरा श्रीमती बाइडेन को दिया, वह भी दूसरे तरह-तरह के गिफ्टों के साथ सरकारी तोषाखाने में जमा करा लिया गया है। यानी देने वाले और लेने वाले के बीच, अमरीकी राज आकर खड़ा हो गया। अब अमरीकी राज एक-एक गिफ्ट की कीमत आंक रहा है और जिसको गिफ्ट मिला है, उससे पेशकश कर रहा है कि वह चाहे तो उस कीमत पर गिफ्ट आइटम खरीद ले। यानी मोदी जी का हीरा पहनने के लिए, श्रीमती बाइडेन को 20,000 डॉलर अपनी जेब से देने पड़ेंगे। ये तो सरासर लूट है, वह भी गिफ्ट की। अमरीका वालों, हमारे जैसे संस्कार न सही, कम से कम अंगरेजों वाले संस्कार तो तुम सीख ही सकते थे। हमारा कोहिनूर, चाहे जोर-जबर्दस्ती से गिफ्ट कराया गया हो या राजी-राजी गिफ्ट किया गया हो, सुना है कि ब्रिटिश शाही ताज में अब तक लगा हुआ है। वैसे ही श्रीमती बाइडेन भी, मोदी जी का हीरा पार्टी-वार्टी में तो पहन कर इतरा ही सकती थीं।
पर अमरीका वालों ने अपने यहां जो हद्द की सो की, हमारे मोदी जी के लिए खामखां एक परेशानी और खड़ी कर दी। अब मोदी जी मुफ्त राशन पर गुजारा करने वाले अस्सी करोड़ लोगों को कैसे समझाएं कि उनका 17 लाख का हीरा गिफ्ट करना कितना जरूरी था। और इससे पहले ट्रंप परिवार को पचास लाख के गिफ्ट देना और दूसरों को भी ऐसी ही उदारता से गिफ्ट देना भी। जिन लोगों ने लाख रुपए कभी देखे ही नहीं हैं, वो क्या समझेंगे लाखों रुपये के गिफ्टों की कूटनीति का महत्व। और विपक्ष वाले तो खैर इसी का शोर मचा रहे हैं कि मनमोहन सिंह तो ज्यादातर किताबें गिफ्ट किया करते थे, मोदी जी क्यों अभूषण देने की तरफ चले गए? क्या यह भी कोई मनोवैज्ञानिक ग्रंथि है?
और तो और विपक्ष वाले तो इसके ताने भी मार रहे हैं कि इतने गिफ्ट देने के बाद भी, मोदी जी को ट्रंप के पद ग्रहण समारोह में शामिल होने का न्यौता तक नहीं मिला है? अब इन्हें कौन समझाए कि हीरे का मोल पारखी ही समझता है। वैसे भी हीरा सब के लिए और हमेशा, शुभ ही नहीं होता है।
(व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार और ‘लोक लहर’ के संपादक हैं।)