रमज़ान में डायबेटीज़ मरीज़ों को क्या-क्या एहतियात बरतना चाहिए
मोहम्मद आरिफ़ नगरामी
रमजानुल मुबारक की आमद मुसलमानाने आलम के लिए किसी खुशी की नावेद से कम नहीं है। क्योंकि इस माहे खैर में रहमतों, नेमतों, बरकतों और इनायतों का नुजूल हर वक्त जारी व सारी रहता है। इसलिए हर मुसलमान की यही कोशिश होती है कि माहे रजमान के फुजूज व बरकात से जी भरके मुस्तफीद हो लेकिन बाज औकात कुछ ऐसे अवारिज भी ला हक हो जाते है कि जिनके सबब रोजा रखना मुम्किन नहीं होता या अगर रोजा रख भी लिया जाए तो डाक्टर की हिदायत पर अमल और एहतियाती तदाबीर अपनाना जरूरी हो जाता है। शुगर भी एक ऐसी बीमारी है जिसमें एहतिताती तदाबीर बहुत जरूरी है। इसलिए शुगर के मरीज रमजान से पहले अपने डाक्टर से मशवरा जरूर कर लें कि वह रोजा रखने के काबिल भी है या नहीं और अगर मरीज रोजा रख सकता है तो उसे क्या एहतियाती तदाबीर एख्तियार करना चाहिए। दरअसल जब कोई सेहतमंद तन्दुरूस्त इंसान रोजा रखता है तो सेहरी के आठ घंटे बाद जिस्म जखीरा शुदा तवानाई इस्तेमाल करने लगता है ताकि खून में शकर की मिकदार बराबर रहे। लेकिन अगर शुगर का मरीज रोजा रख रहा है तो उसके मर्ज की नावय्यत के लेहाज से जहां खून में शर की मिकदार नार्मल रखने के लिए दवाओं की मिकदार और औकात में तबदीली जरूरी है। इस साल चूंकि रोजे गर्मियों में आ रहे है और फिर रोजे का दौरानिया भी तवील है तो आम इंसान की बा निबत शुगर के मरीज में पानी की कमी या डी हाइड्रेशन की वजह से शुगर बढ़ने या एक दम बहुत कम हो जाने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए बेहतर यही है कि शुगर के मरीजों को डाक्टर के मशवरे के बाद ही रोजा रखना चाहिए। वाजेह रहे कि दीने इस्लाम में ऐसे अफराद के लिए जिन्हंे रोजा रखने की वजह से सेहत के मसायल लाहक होने का डर हो रोजा ना रखने कजा कर लेन या फिदिया देने की इजाजत है। चाहे तो इस बारे में किसी आलिमे दीन में भी मशवरा कर लेना चाहिए। खास कर ऐसी हामला ख्वातीन और माओं के लिए जो बच्चे को दूध मिल रही है। इस जिम्न में खास रेयाअत और छूट मौजूद है।
डाक्टरों का कहना है कि रोजे के दौरान शुमर के मरीज जिन परेशानियों से दोचार हो सकते है उनमें यह शामिल है।
(1) हाइयो गिलाई सीमिया- इसमें खून में शकर की मिकदार खतरनाक हद तक कम हो जाती है।
(2) हाईपर गिलाई सीमिया- बाज औकात इंसूलीन और शुगर की दीगर दवाओं में ना मुनासिब कमी या फिर खाने पीने के मामले में एहतियात ना बरतने की सूरत में खून में शकर की मिकदार खतरनाक हद तक बढ़ जाती है।
(3) डी हाईड्रेशन- शुगर के मरीजों में रोजे के दौरान पानी की कमी बसा औकात बहुत खतरनाक साबित होती है। लेहाजा जिस्म को टी हाईडिटेट करने के लिए इफ्तार से सेहरी तक पानी का ज्यादा से इस्तेमाल करना चाहिए साथ ही इफ्तार में फल खाना चाहिए ऐसे फल जिनमें पानी की मिकदार ज्यादा पाई जाती है।
याद रहे कि काफी चाय शरबत और कोल्ड डिंªक का इस्तेमाल डी हाइडिरेशन का खतरा बढ़ा देता है। डाक्टरों का यह भी कहना है कि शुगर के मरीज के लिए जरूरी है कि वह सेहर के वक्त उठ कर सेहरी जरूर करे। नहीं तो डी हाईडिरेशन का खतरा बढ़ जाता है उमूमन देखा गया है कि शुगर के मरीज सेहरी तो कर लेते हैं लेकिन दवा का इस्तेमाल सही तौर पर नहीं करते है जिसकी वजह से परेशानियां बढ़ सकती है। डाक्टरों का यह भी कहना है शुगर के बाज मरीज इस तजबजुब में का शिकार रहते है कि वह तरीवीह पढ़े या ना पढ़े तो तरीवीह जरूर पढ़े, क्योकि तरीवीह मेहनत करने वाली इबादत है। अगर शुगर का कोई मरीज तरावीह पढ़ रहा है तो फिर वह वरजिश ना करें। तरावीह पढ़ने वाले शुगर के मरीज को चाहिए कि वह तरावीह से पहले रात का खाना जरूर खा लें और अपने साथ पानी की बोतल जरूर रखे और थोड़ा पानी पीता रहे। साथ ही जेब में कोई टाफी या बिस्कुट भी जरूर रखे ताकि अगर खून में शकर की मिकदार कम होने लगे तो फौरन खा लें। शुगर के मरीजों को इफ्तार के बाद से तरावीह तक ज्यादा मिकदार में पानी पीना चाहिए।
मीठे शरबत और तली हुई चीजों से परहेज करें। जबकि नशासते दार गिजाए डाक्टर से मशवरा के बाद खायें अगर रेाजे की हालत में खून में शकर की मिकदार बढ़ जाये तो उसकी आम अलामात में शदीद प्यास महसूस होना। बार-बार पेशाब की हाजत बहुत ज्यादा थकन, नजर धुधलाना मामूल से बढ़कर पसीना आने के साथ जिसम ठंडा होना शामिल है। ऐसी सूरत में फौरन शकर चेक करें अगर शुगर 60 से कम या 300 से ज्यादा हो तो रोजा खत्म कर देना ही बेहतर है।
डाक्टरों का कहना है कि शुगर के मरीजों को रमजान में इफ्तार से सेहर तक थोड़ा थोड़ा और वक्फे नक्फे से खाये सेहरी आखरी वक्त में करें और ऐसी गिजा इस्तेमाल करे जो देर से हजम हो जैसे चपाती, दलिया, आटा चोकर वाला सूजी की खीर, चिकन का सालन, दाल सब्जी वगैरा इनमें चिकनाई कम और प्रोटीन्स ज्यादा पाये जाते हैं।
डाक्टरों का कहना है कि शुगर के मरीज सेहरी और रात के खाने में फल और सलाद खायें। घी मक्खन के बजाय तेल का इस्तेमला करें। पकोड़े, समोसे, रोल , कबाब, चिप्स, फिराइड चिकन मंें परहेज करें। खाने में नमक की मिकदार कम रखे, सेहरी व इफ्तार में शोरबे वाला सालान खाना बेहतर है। डाक्टरों को शुगर के मरीजों को मशविरा है कि इफ्तार में एक छोटी खजूर और पानी में रोजा खोले, मशरूबात की जगह नीबू-पानी का शरबत या फिर बगैर बालाई और बगैर शकर की रस्सी का इस्तेमाल किया जा सकता है। जबकि एक कप फ्रुट चाट भी खाई जा सकती है। मीठी गिजाए मसलन मिठाइयां, जलेबियां, केक वगैरा का हरगिज इस्तेमाल ना करे। डाक्टरों का यह भी कहना है कि तम्बाकू नोशी से मुकम्मल एहतियात करना चाहिए।