लखनऊ:
मोमिन अन्सार सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो. अकरम अन्सारी ने राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर सभी बुनकर साथियो को बधाई दी लेकिन साथ ही बिगड़ती बुनकरो की स्थिति पर चिंता व्यक्त की मौजूदा वक़्त मे बुनकरो का माल बन नहीं पा रहा है बना हुआ माल बिक नहीं रहा है हालात बद से बदतर हो रहे है ऐसे मे बिजली के बिल की मार पड़ रही है बुनकरो के बिजली के फ्लैट रेट पर सरकार से अभी तक कोई आदेश बुनकरो के हक़ मे नहीं आया है क्योंकि अभी शासन मे इस पर विचार हो रहा है और बुनकर प्रताड़ित हो रहा है भारत मे किसानों के बाद सबसे बड़ी आबादी बुनकर समाज की है और पेशा बुनकरी है लेकिन जहां देश का बुनकर सरकारी अदूरदर्शिता के चलते अपनी गरिमा मान सम्मान और कारोबार में पिछड़ता ही जा रहा है वहीं दूसरी तरफ पूंजीपतियों और धनाढ्य वर्ग के उत्पीड़न शोषण का शिकार है।देश को स्वतंत्र कराने मे बुनकरो के योगदान वा क़ुर्बानियों को भुलाया नहीं जा सकता है भारत को स्वतंत्र कराने मे बुनकर तबका कभी अंग्रेजो के आगे झुका नहीं यहाँ तक की बुनकरो के अंगूठे काट लिये गये फाँसी पर लटका दिये गये घरों को लूट लिया लेकिन करघा चलाने वाला बुनकर अंग्रेज़ो के आगे झुका नहीं और भारत को स्वतंत्र करा कर ही रहा l हथकरघा उद्योग प्राचीनकाल से ही हाथ के कारीगरों की आजीविका प्रदान करता आया है। हथकरघा उद्योग से निर्मित सामानों का विदेशों में भी खूब निर्यात किया जाता है। हालांकि सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए कहा था कि देश में जगह जगह स्थापित बुनकर सेवा केंद्रों (डब्ल्यूएससी) पर बुनकरों को आधार व पैन कार्ड जैसी अनेक सरकारी सेवाओं की पेशकश की जाएगी। ये केंद्र बुनकरों के लिए तकनीकी मदद उपलब्ध करवाने के साथ साथ एकल खिड़की सेवा केंद्र बने हैं लेकिन सेवाओं का सही लाभ नहीं मिल पाने की शिकायतें भी बुनकर लगातार करते है l देश को आजाद करवाने में भी हथकरघा कारीगरों / बुनकरों ने विशेष भूमिका निभाई, हथकरघा की कला में हाथ के अंगूठे का विशेष योगदान होता था इसलिए अंग्रेजो ने बुनकरों की इस कला को खत्म करने के उद्देश्य से बुनकरों के अंगूठे तक कटवा दिए मगर इतना करने पर भी बुनकरों के हौसले कम नहीं हुए, बुनकरों ने अपने हुनर को जारी रखा इसी तरह देश की आजादी की मुहिम में अहम योगदान किया और देश आजाद हुआ तो देश सोने की चिड़िया कहलाया मगर आजादी के बाद से धीरे धीरे बुनकरों को मिलने वाली सुविधाएं कम होने लगी जिस कारण हथकरघा उद्योग आज खत्म की कगार पर है l

केंद्र / प्रदेश सरकारों द्वारा ज़मीनी बुनकरो , दस्तकारों के संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करनी चाहिये जिससे की समस्या उजागर हो सके हथकरघा उद्योग केवल सरकारी कागजों तक ही सीमित होकर रह गया है, बुनकरों के नाम पर आने वाली स्कीमे बिचौलिया खा जाते है, वास्तविक बुनकर को उसका लाभ नहीं मिल पाता।

केंद्र / प्रदेश सरकार को चाहिए कि बुनकर आयोग का गठन करें, बुनकर प्रतिनिधि को विधान सभा , राज्यसभा मे नमित किया जाये l खादी ग्रामोउद्योग के अलावा हथकरघा उद्योग से बने वस्त्रों व अन्य वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा दे, टैक्स में छूट दे, बुनकरों का माल बेचने के लिए प्रत्येक जनपद में मंडी स्थल बनाए, रेलवे / अन्य विभागों में काम आने वाली तोलिया, चादर, रुमाल व अन्य हथकरघा वस्तुएं सरकार बुनकरों से सीधे खरीदारी करे तो संभव है की देश / प्रदेश के बुनकरों के हालात कुछ सुधार जाए।आज के वक़्त मे बुनकर और दस्तकार सरकार की तरफ इस उम्मीद से देख रहा है की हमारा भी व्यापार सही हो सकेगा क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने पसमान्दा मुसलमानो को रोज़गार शिक्षा सुरक्षा देने की बात कही है