लखनऊ: हर साल की तरह इस साल भी हज़रत पैगंबर मुहम्मद स0अ0 की इकलौती बेटी हज़रत फातिमा ज़ेहरा की शहादत के मौके पर इमामबाड़ा सिबतैनाबाद हज़रतगंज लखनऊ में दो रोज़ा मजालिस का आयोजन किया गया। पहली मजलिस को हुज्जत-उल-इस्लाम मौलाना सैयद हमीद-उल-हसन तक्वी ने संबोधित किया। मजलिस को संबोधित करते हुए, मौलाना ने कहा कि कुछ लोगों का दावा है कि उन्होंने अज़ाए फातिमिया को हिंदुस्तान भर में शुरू किया है,यह पूरी तरह से गलत है। देश के अन्य हिस्सों में, हज़रत फातिमा ज़ेहरा की शहादत के अवसर पर हमेशा से मजलिसें आयोजित की जाती रही हैं। हमने हमेशा देखा है कि हज़रत फातिमा की शहादत के मौके पर ताबूत उठता था, और मजलिसों का आयोजन किया जाता था। यह सिलसिला नया नहीं बल्कि पुराना है। यह एक तथ्य है कि हज़रत फातिमा अ0स0 का ग़म आज बड़े पैमाने पर ज़ियादा एहतेमाम के साथ मनाया जाता है,जिसमें अभी और इज़ाफा होना चाहिये।


मौलाना ने हज़रत फातिमा ज़ेहरा अ0स0 के फज़ाएल का वर्णन करते हुए कहा कि हज़रत पैगंबर मुहम्मद साहब स0अ0 ने फरमाया है कि फातिमा मेरा हिस्सा है जिसने फातिमा को तकलीफ दी उसने मुझे तकलीफ पहुंचाई, और जिसने मुझे तकलीफ पहुंचाई उसने अल्लाह को तकलीफ पहुंचाई। उन्होंने कहा कि पैगंबरे इस्लाम और पैगंबर के एहलेबैत अ0स0 की मोहब्बत इस्लाम की आत्मा है। जैसे कि मानव शरीर का कोई एक हिस्सा कट जाता है तो हम यह नहीं कहते हैं कि वह इंसान मर गया है, लेकिन हम यह कहते हैं कि अब वह अंग उस इंसान के शरीर का हिस्सा नहीं है।मोहब्बते एहलेबैत इस्लाम के शरीर की रूह है अगर मोहब्बते एहलेबैत नही है तो इस्लाम का शरीर बेजान है।

मौलाना ने कहा कि हम हमेशा देश और कौम के प्रति वफादार रहे हैं,हमारे ओलमा और मराजाए किराम भी उन्हीं को दोस्त रखते है जो देश और कौम के वफादार होते है,यह बात सरकार और प्रशासन को याद रखनी चाहिए। लेकिन हम उन लोगों से बिल्कुल भी वफादारी की उम्मीद नहीं करते हैं जिन्होंने पैगंबर हज़रत मोहम्मद साहब स0अ0 के परिवार के प्रति वफादारी नहीं दिखाई। मौलाना ने आख़िर में हज़रत फातिम ज़ेहरा के मसाएब बयान किये जिस पर लोगो बेहद गिरया किया।

इससे पहले,मजलिस की शुरुआत क़ारी मासूम मेहदी ने पवित्र कुरान की तिलावत से कि। उसके बाद शयरों में जनाब कल्बे अब्बास, जनाब अली मेहदी, जनाब मुहम्मद हसनैन ने अपना कलाम पेश किया। जनाब अहमद रजा बाजनूरी ने निज़ामत के फ़राएज़ अदा किये।मजिलस में मौलाना फ़रीदुल हसन साहब, मौलाना शमसुल हसन साहब, मौलाना अली रज़ा साहब,मौलाना हैदर हसन साहब,मौलाना आली हसन साहब,मौलाना ईमान अहमद साहब,मौलाना मोहम्मद अब्बास तुरबी साहब, मौलाना अकील अब्बास साहब,मौलाना नज़्र अब्बास साहब, मौलाना अब्बास असग़र शबरेज़ साहब, मौलाना डा0 जफरुन नक़ी साहब,मजालिस के संयोजक आदिल फ़राज नक़वी और अन्य ओलमा मौजूद थे।मजलिस में बडी संख्या में लोगोें शरीक हुए,ख़ास कर जामिया नाज़मिया और मदरसा सुल्तानूल मदारिस के छात्र मौजूद रहे।