हम पुजारी हैं, भिखारी नहीं: परशुराम जन कल्याण मंच
सदियों से समाज को शिक्षा एवं संस्कार देने वाले समाज का घोर अपमान क्यों ?
लखनऊ : परशुराम जन कल्याण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष प.सुनील मिश्र ने आज पत्रकार वार्ता में कहा कि ज़्यादा सीधापन कायरता कहलाता है , इसलिए अब हम सनातन परंपरा के रक्षकों के स्वाभिमान की रक्षा करेंगे।
उन्होंने कहा कि आज जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहा है तो विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा हमे लुभाने के लिए परशुराम मंदिर एवं मूर्ति लगाने की बात करने के साथ कुछ अस्तित्व विहीन नेताओं को परशुराम परिवार का धोकरकसवा (बच्चों को चुराने वाला) बनाने हेतु दल-बदल कराया जा रहा है।
सुनील मिश्र ने आगे कहा कि परशुराम परिवार के कुछ लोग जो राजनीतिक पार्टियों के साथ है वो भी कुल के लिए विभीषण की भूमिका में है और परशुराम परिवार के सामाजिक हनन और अपमान पर मौन साधे हुए है | परशुराम जन कल्याण मंच उन सभी राजनीतिक दलों को चेताना एवं बताना चाहता है कि “हम पुजारी है मगर भिखारी नहीं ” इसलिए भगवान परशुराम की मूर्ति ,मंदिर एवं दलबदलू नेताओं को आगे कर के हमारे स्वाभिमान की हत्या करने का प्रयास न किया जाये।
ब्राह्मण समाज सदैव से समाज में समरसता एवं आपसी भाईचार को बढ़ाने के लिए शांति का प्रतीक रहा है परन्तु आत्मसम्मान पर ठेस आने पर परशुराम को अपना आराध्य मानने में क्षण भर भी विलम्ब नहीं करता है।
उन्होंने वसीम बरेलवी के शेर का उद्धरण करते हुए कहा
उसूलों पे जहाँ आँच आये टकराना ज़रूरी है
जो ज़िन्दा हों तो फिर ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है
इसलिए संस्था के सदस्यों ने अब ठाना है कि अब बहकावे में नहीं आयेगें और चुनावी रेवड़ियां फेक कर ब्राम्हण समाज को अपमानित दलों को सबक सिखाएंगे।
कार्यक्रम में उपस्थित परशुराम जन कल्याण मंच के प्रदेश संरक्षक विजय मिश्रा ने मंच के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया और कहा कि हम सब का परम कर्तव्य है कि सामाजिक भाईचारा को बढ़ाया जाये और परशुराम परिवार के लोगों को अपमानित करने वालों को सनातन परम्परा एवं हिन्दू जीवन शैली के बारे में शिक्षित करने की जरुरत है।
मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित विकास शर्मा ने कहा की इस बार हम और हमारा समाज बहुत सोच-समझ कर कदम उठाएगा और नेताओं के बहकावें में नहीं आएगा। संस्था के मार्गदर्शक संत श्री बैद्यनाथ राम त्रिपाठी ने सभा का संचालन करते हुए वैदिक परंपरा और उसमे परशुराम परिवार के लोगों की सहभागिता पर प्रकाश डालते हुए कहा की हिन्दू धर्म एक जीवन शैली है.