बेरोजगारी पर वरुण ने उठाया सवाल, पूछा- 60 लाख पद खाली, कहां गया बजट?
टीम इंस्टेंटखबर
भारतीय जनता पार्टी के पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी ने इस बार बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर अपनी सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. देश में महंगाई के बाद सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी है. इसपर वरुण गांधी ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर विपक्ष तो सरकार पर हमलावर है ही, अब बीजेपी सांसद ने भी अपनी ही सरकार से बेरोजगारी को लेकर सवाल पूछा है.
बीजेपी सासंद वरुण गांधी ने केंद्र में विभन्न विभागों समेत सेना, पुलिस, स्वास्थ्य आदि विभागों में खाली पड़े पदों की संख्याओं को लेकर ट्वीट किया. उन्होंने कहा, “जब बेरोजगारी 3 दशकों के सर्वोच्च स्तर पर है तब यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं. जहां भर्तियां न आने से करोड़ों युवा हताश व निराश है, वहीं ‘सरकारी आंकड़ों’ की ही मानें तो देश में 60 लाख ‘स्वीकृत पद’ खाली हैं. कहां गया वो बजट जो इन पदों के लिए आवंटित था? यह जानना हर नौजवान का हक है!”
बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने हमेशा से ही सरकारक की गलत नीतियों को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं. चाहे फिर वो उनकी अपनी ही पार्टी की सरकार क्यों न हो. इस बार उन्होंने केंद्र की अपनी बीजेपी सरकार को देश में स्वीकृत पड़े सरकारी पदों पर भर्ती नहीं निकालने की मंशा को लेकर सवाल दागा है. वरुण गांधी ने देश में खाली पड़े सरकारी पदों के लेकर सीधे केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है.
वरुण गांधी ने कहा कि जिस समय देश में बेरोजगारी 3 दशकों के सर्वोच्च स्तर पर है उस समय ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं. दरअसल, वरुण गाधी ने अपने ट्वीट के साथ देश में विभिन्न सरकारी विभागों में स्वीकृत पड़े खाली पदों को लेकर आंकड़े शेयर किए हैं. जिसके मुताबिक, देश के विभिन्न सरकारी विभागों में 60 लाख से भी अधिक स्वीकृत पद खाली पड़े हैं. जिसमें केंद्र सरकार के विभिन्न विभाग, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा विभाग, सेना, पुलिस, न्यायालय में कई हजारों स्वीकृत पद खाली पड़े होने का दावा किया गया है.
आपको बता दें कि इससे पहले भी वह अपनी ही सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करते रहे हैं. कुछ दिन पहले ही पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने यूपी की योगी सरकार की ओर से राशनकार्ड धारकों के लिए तय की गई पात्रता को लेकर सवाल उठाए थे. उन्होंने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आम लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाले सारे मानक अगर चुनाव देख कर तय किए जाएंगे तो सरकारें अपनी विश्वसनीयता खो देंगी. उन्होंने अपनी सरकार से सवाल पूछते हुआ कहा कि, चुनाव खत्म होते ही राशनकार्ड खोने वाले करोड़ों देशवासियों की याद सरकार को अब कब आएगी? शायद अगले चुनावों में.