उत्तर प्रदेश एक लैण्डलॉक्ड राज्य है: सीएम योगी
लखनऊ:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काशी, उत्तर प्रदेश तथा देश को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है। वह आज चरितार्थ हो रहा है। आज प्रदेश के चार जनपदों वाराणसी, चन्दौली, गाजीपुर तथा बलिया में 15 जेट्टियों का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ हैं। इनके माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करते हुए जल परिवहन की गतिविधि को तेज किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री आज जनपद वाराणसी के रविदास घाट पर गंगा नदी में तैयार की गयी जेट्टियों का केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानन्द सोनोवाल के साथ संयुक्त रूप से लोकार्पण एवं शिलान्यास करने के बाद इस अवसर पर भारतीय अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इसके तहत 07 सामुदायिक जेट्टियों का लोकार्पण और 08 सामुदायिक जेट्टियों का शिलान्यास सम्पन्न हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जिन 15 जेट्टियों का लोर्कापण एवं शिलान्यास किया गया है वह पर्यटन की अनेक सम्भावनाओं को भी बढ़ाएंगी। इनके माध्यम से यातायात को सुगम बनाने में मदद मिलेगी। जल परिवहन के प्रारम्भ होने से रेलवे तथा सड़कों के भार को कम करने में मदद मिलेगी। इससे डीजल की खपत को कम करते हुए प्रदूषण को भी कम किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश एक लैण्डलॉक्ड राज्य है। यह चारों ओर जमीन से घिरा हुआ है। प्रदेश का कोई उत्पाद एक्सपोर्ट के लिए जब तक पोर्ट पर पहुंचता था, तब उसकी लागत बहुत ज्यादा हो जाती थी। इसमें परिवहन का मूल्य भी जुड़ जाता था। इसके कारण अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में हमारे उत्पाद प्रतिस्पर्धी नहीं हो पाते थे। लैण्डलॉक्ड राज्य होने के कारण हमारे सामने समस्या थी कि क्वालिटी के साथ-साथ मांग के सापेक्ष लागत भी होनी चाहिए। प्रदेश से चीनी, सब्जी, फल तथा मिर्च आदि भेजने में समस्या होती थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश में परम्परागत उत्पाद, एम0एस0एम0ई0 का सबसे बड़ा केन्द्र है। यहां 90 लाख सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के उद्यमी तथा उद्योग हैं। उनके उत्पादों को उत्तर प्रदेश के बाहर देश के अन्य भागों में तथा दुनिया के बाजार में पहुंचाने में दिक्कत होती थी, क्योंकि उत्पादों की लागत पोर्ट तक पहुंचते-पहुंचने काफी ज्यादा हो जाती थी। पहले प्रदेश की नदियों में जल परिवहन की सुविधा थी। इसके माध्यम से यहां पर कोयला आता था और गुड़, चीनी, फल, सब्जियां, अनाज तथा खाद्यान्न यहां से बाहर जाता था। हिमालय से आने वाली नदियों में विशेषकर बरसात के मौसम में सिल्ट काफी मात्रा में आता है। इसकी डिसिल्टिंग नहीं की गई। परिणामतः नदियां छिछली होती गईं। उनका दायरा बढ़ता गया। जल परिवहन का स्थान सड़क तथा अन्य परिवहन माध्यमों ने ले लिया। यह महंगा होने के साथ ही, सभी के लिए सुगम भी नहीं था। इसका परिणाम हुआ कि यहां के उत्पाद यहीं तक सीमित रह गये। एम0एस0एम0ई0 उद्योग का भी नुकसान हुआ।