शिक्षित महिला के बिना समाज का उत्थान असंभव : मोo जाकिर कासमी
जामिया तुत तय्येबात में वार्षिक शिक्षण कार्यक्रम का आयोजन
कानपुर :
किसी भी प्रशिक्षित समाज के निर्माण में महिलाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, एक शिक्षित महिला एक घर में सीमित नहीं रहती बल्कि अपने पूरे परिवार और पीढ़ी में ज्ञान का दीपक जलाती है। इसीलिए इस्लाम ने पुरुष व महिलाओं के लिए शिक्षा को समान रूप से अनिवार्य किया है।
उपरोक्त विचार मौलाना जाकिर कासमी ने व्यक्त किए। मौलाना ज़ाकिर शहर के चर्चित शिक्षण संस्थान जामिया तुत तय्येबात दलेल पुरवा कानपुर की वार्षिक शैक्षणिक बैठक को संबोधित कर रहे थे। मौलाना जाकिर कासमी ने कहा कि शिक्षा एक ऐसा गहना है जो इंसान के बाहरी और भीतरी दोनों हिस्सों की शोभा बढ़ाता है। आज लोगों में शैक्षिक पिछड़ेपन के कारण नैतिक मूल्य खत्म हो रहे हैं। बुराइयां बढ़ रही हैं। प्रतिस्पर्धा करने के लिए यह आवश्यक है कि समाज का प्रत्येक व्यक्ति शिक्षा की प्राप्ति सुनिश्चित करे, विशेषकर समाज की लड़कियों की शिक्षण और प्रशिक्षण का ध्यान रखा जाए ।
संस्थान की शिक्षिका ज़ैनब अल-ग़ज़ाली ने अपने प्रारंभिक उद्बोधन में संस्था का परिचय देते हुए कहा कि नेतृत्व की सीढ़ी शिक्षा के माध्यम से होती है। सभ्य समाज का सपना तब तक अधूरा है जब तक इसे बढ़ावा नहीं दिया जाता। जमीय तुत तैय्यबात अपनी स्थापना के बाद से लड़कियों को धार्मिक और आधुनिक रूप से प्रशिक्षित करने में सक्रिय है।
बैठक की अध्यक्ष व जामिया की प्रधानाध्यापिका सालेहा बेगम सालेहाती ने अपने अध्यक्षीय भाषण में इस्लामी दृष्टिकोण से तथा इस्लाम की महान महिला विद्वानों, जिनके कार्यों व भूमिकाएँ इतिहास में एक उज्ज्वल प्रकाश हैं को सामने रखते हुए महिला शिक्षा के महत्व व आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि इस्लामी मूल्यों पर आधारित परिवार व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए देश की बेटियों को शुद्ध वातावरण में धार्मिक और सांसारिक शिक्षा देना आवश्यक है ताकि वे हमारी आने वाली पीढ़ियों के प्रशिक्षण और शिक्षा में अपना कर्तव्य निभा सकें। और एक धार्मिक समाज का निर्माण किया जा सकता है, पैगंबर की जीवनी और इस्लामी इतिहास से सैकड़ों उदाहरण हमारे लिए एक मॉडल हैं, जो यह स्पष्ट करता है कि इस्लामी समय के अनुकूल होने से महिलाएं समाज के निर्माण और विकास का हिस्सा बन सकती हैं। इसलिए यह हमारे लिए आवश्यक है कि हमें इस समबन्ध में गंभीर होना चाहिए और शिक्षा को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए।