लखनऊ
भाकपा (माले) ने सीएए-विरोधी प्रदर्शनकारियों को जारी वसूली नोटिसों को एक हफ्ते में वापस लेने के सर्वोच्च न्यायालय के सख्त निर्देश के मद्देनजर प्रदेश सरकार से ‘यूपी सार्वजनिक व निजी संपत्ति क्षतिपूर्ति कानून 2021’ को भी लोकतंत्र के हित में वापस लेने की मांग की है।

पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि शीर्ष अदालत का सख्त निर्देश योगी सरकार व भाजपा को झटका है। अदालत ने वसूली नोटिसें जारी करने में सरकार के मनमानेपन को पकड़ लिया और इसे कोर्ट के आदेशों के खिलाफ बताया। भाजपा सरकार को इससे सबक लेना चाहिए।

माले नेता ने कहा कि क्षतिपूर्ति कानून 2021 बदला लेने की नीति के तहत योगी सरकार द्वारा पारित किया गया था। 2019 में हुए सीएए-विरोधी प्रदर्शनों के बाद मुख्यमंत्री योगी ने प्रदर्शनकारियों से बदला लेने का बयान भी दिया था, जिसके बाद 2020 में अध्यादेश लाया गया और अगले साल उसे कानूनी जामा पहना दिया गया।

राज्य सचिव ने आशंका जताई कि सर्वोच्च न्यायालय के दबाव में वसूली नोटिसें वापस लेने के बाद प्रदेश सरकार उक्त कानून के तहत फिर से वसूली की प्रक्रिया शुरू कर सकती है, क्योंकि ये नोटिस यूपी क्षतिपूर्ति कानून लागू किये जाने के पूर्व जारी हुए थे। वैसी स्थिति में क्लेम ट्रिब्यूनल के फैसले को किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी, जैसा कि कानून में प्रावधान किया गया है। उक्त कानून दमनकारी, विरोध की आवाज का गला घोंटने वाला और संविधान की भावना के खिलाफ है।