इलाज ने बदला कुष्ठ से ग्रसित इशरत का जीवन
हमीरपुर
कभी झाड़ू पकड़ने में भी असहाय महसूस करने वाली इशरत अब रसोई में झटपट काम निपटा लेती हैं। लेकिन अब से कुछ साल पीछे जाएं तो इशरत मुश्किलों में जूझ रही थी। वर्ष 2007 में उंगलियों में दर्द के साथ अकड़न शुरू हुई। बिना बीमारी का पता चले सालों इलाज हुआ, मगर आराम नहीं मिला। बाद में सीएचसी में तैनात एक डॉक्टर की सलाह पर नैनी (प्रयागराज) में जांच कराई तो लेप्रोसी (कुष्ठ) की पुष्टि हुई। लंबे समय तक चले उपचार के बाद आज हालत बेहतर है। अब इशरत दूसरों पर आश्रित नहीं।
कुरारा कस्बे के भौली रोड की रहने वाली इशरत बताती हैं जब उनकी बाएं हाथ की उंगलियों में दर्द हुआ तो उन्होंने इसे साधारण दर्द मान लिया। लेकिन बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती चली गई। पूरे हाथ में ऐंठन होने लगी। पांच सालों तक यूं ही इधर-उधर का इलाज चलता रहा। आराम नहीं मिला। वर्ष 2013 में सीएचसी में डॉ.संतोषी आए। उन्होंने स्थिति देखी तो कुष्ठ की आशंका जताई और जांच के लिए नैनी (प्रयागराज) जाने की सलाह दी। उनकी सलाह पर जांच कराई तो कुष्ठ रोग की पुष्टि हुई। इशरत के पति गयास बेग बताते हैं कि 2013 से लगातार उपचार कराने के बाद आज स्थिति ठीक है। पहले इशरत हाथ से झाड़ू नहीं पकड़ पाती थी, लेकिन अब सारे काम कर लेती हैं। दो बच्चों की मां इशरत बताती हैं कि कुष्ठ रोग के नाम पर मिलने वाली पेंशन से बच्चों की पढ़ाई में मदद मिलती है।
पत्नी की बीमारी से ली सीख, अब दूसरों को करते हैं जागरूक
पति गयास बेग को अपनी पत्नी की बीमारी से बड़ी सीख मिली है। आज वह अपने आसपास रहने वालों को भी इस बीमारी के प्रति जागरूक करते रहते हैं। बताते हैं कि अब तक उनकी नजर में पांच कुष्ठ रोगी आए। इनकी भी नैनी में जांच कराई गई। जिसमें तीन पॉजिटिव मिले। एक दिव्यांगता का शिकार हो गया और दो बूढ़े मरीज थे, जिनकी कुछ समय पूर्व मृत्यु हो गई। गयास बताते हैं कि ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसके शरीर में सुन्न दाग-धब्बे या हाथ-पैर में अकड़न की शिकायत होती है तो उसे वह कुष्ठ रोग की जांच कराने को प्रेरित करते हैं। कुछ को अपने साथ जांच कराने को लेकर भी जा चुके हैं।
नियमित उपचार से मिलता है कुष्ठ से छुटकारा
जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ.कमलेशचंद्र ने बताया कि कुष्ठ रोग में दो प्रकार का उपचार होता है। शरीर में एक से पांच चकत्ते (धब्बे) वाले मरीज को छह माह तक नियमित दवा का सेवन करना होता है। इससे अधिक चकत्ते वाले मरीजों को दूसरी कैटेगिरी में रखा जाता है और इसका उपचार एक साल तक चलता है। उन्होंने बताया कि जनपद में इस वित्तीय वर्ष में अब तक 28 नए कुष्ठ रोगी चिन्हित किए गए हैं, जिनका उपचार चल रहा है। कुष्ठ की वजह से दिव्यांगता का शिकार होने वाले मरीजों की संख्या 67 है। डॉ.कमलेशचंद्र ने बताया कि कुष्ठ रोग बैक्टीरिया के कारण होता है। यह मुख्य रूप से चमड़ी और तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। यह रोग बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है। कुष्ठ का उपचार एमडीटी दवाओं से होता है। जो स्वास्थ्य केंद्रों पर नि:शुल्क उपलब्ध रहती है।
कुष्ठ रोग के लक्षण
- शरीर पर सुन्न दाग।
- हथेली या पैर के तलवे में सुन्नता।
- हाथ-पैर, आंख में कमजोरी, विकृति।
- घास जिसमें दर्द न हो।
- चेहरे, शरीर या कान पर गांठें, छाले, घाव।
कुष्ठ की जटिलताएं
- धब्बों में लालिमा, सूजन।
- तंत्रिकाओं में झनझनाहट, सूजन, दर्द।
- जोड़ों में दर्द, सूजन, बुखार।
- आंख में लालमन, रोशनी में कमी, पानी आना।
- हाथ-पैर, आंख की मांसपेशियों में कमजोरी, लकवा।
- पीलिया, पेट दर्द।