ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ ट्रेडर्स का आंदोलन 20 नवंबर से
नई दिल्ली: ई-कॉमर्स कंपनियों की मनमानी और FDI पॉलिसी का खुलेआम उल्लंघन करने के खिलाफ देशभर में ट्रेडर्स 20 नवंबर से 31 दिसंबर तक तीव्र आंदोलन छेड़ने वाले हैं. इसकी घोषणा गुरुवार को कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने की है. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने नई दिल्ली में आंदोलन की घोषणा करते हुए कहा कि इस आंदोलन का उद्देश्य उन ई-कॉमर्स कंपनियों को बेनकाब करना है, जो सरकार की नीतियों की धज्जियां उड़ा रहे हैं और देश के रिटेल व्यापार पर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कब्जा करने के मंसूबे पाले हुए हैं. हमें ऐसे सभी मंसूबों को विफल करना है.
उन्होंने यह भी बताया कि इस आंदोलन के द्वारा केंद्र सरकार से एक ई-कॉमर्स पालिसी की तुरंत घोषणा करने, एक ई-कॉमर्स रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन करने और FDI पॉलिसी के प्रेस नोट 2 की खामियों को दूर कर एक नया प्रेस नोट जारी करने को दबाव भी बनाया जाएगा.
भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों ने लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचने, गहरे डिस्काउंट, सामान की इन्वेंट्री पर अपना नियंत्रण रखने, बड़े ब्रांड वाली कंपनियों से साठ-गांठ कर उनके उत्पाद केवल अपने पोर्टलों पर ही बेचने जैसी व्यापारिक पद्धतियों से छोटे व्यापारियों का व्यापार बुरी तरह तबाह कर दिया है. इस मामले पर अनेक बैंक भी इनके पोर्टल पर खरीदी करने पर अनेक प्रकार के कैशबैक एवं डिस्काउंट देकर इन कंपनियों के साथ अनैतिक गठबंधन में शामिल हैं. यही नहीं बड़ी मात्रा में देश का डाटा इन कंपनियों को एक योजनाबद्ध तरीके से लीक किया जा रहा है.
इस सन्दर्भ में उदहारण देते हुए उन्होंने कहा कि यदि किसी सरकारी योजना से कोई चीज बुक कराई जाती है तो तुरंत उस व्यक्ति के पास इन कंपनियों का मैसेज पहुंच जाता है, जिससे साफ है कि भारत के रिटेल बाजार पर कब्जा करने का एक सोचा समझा षड्यंत्र चल रहा है.
भरतिया एवं खंडेलवाल का कहना है कि ये ई-कॉमर्स कंपनियां आर्थिक आतंकवादी हैं और भारत के अर्थ तंत्र पर अपना आतंकवाद हावी करना चाहती हैं, जिसका पुरजोर विरोध सारे देश में किया जाएगा. देश का व्यापारी अब चुप नहीं बैठने वाला और सड़कों पर आ कर इन कंपनियों का खुला विरोध करेगा और कड़े शब्दों में मांग करेगा कि अब सरकार चुप बैठकर इन कंपनियों की और अधिक मदद नहीं करे. सीधे तौर पर नीति के उल्लंघन और इन कंपनियों के कामकाज के तरीके पर इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे.
देश का रिटेल व्यापारी अब अपने अधिकारों का यूं खुलेआम हनन होते नहीं देख सकता. अपने हक के लिए हम हर कीमत चुकाने को तैयार हैं. अब देश भर में इन कंपनियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन होंगे और वर्चुअल व प्रत्यक्ष व्यापारी सम्मेलनों में व्यापारी हिस्सा लेकर इस मामले पर अपनी नाराजगी का जोरदार इजहार करेंगे. न केवल केंद्र सरकार बल्कि सभी राज्य सरकारों से भी इन कंपनियों को अपने राज्य में माल न बेचे जाने की मांग करेंगे. देश का हर व्यापारी इस आंदोलन में हिस्सा लेगा.