ट्रम्प को दूरदर्शिता के खिताब से नवाजना अमानवीय और अनैतिक
लाल बहादुर सिंह
कोरोना का दौर सचमुच दुनिया को पूरी तरह बदल रहा है, स्वयं वह महामारी ही नहीं, वरन जिस तरह शासक उससे निपट रहे हैं। सरकारी सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि ट्रम्प मोदी की बातचीत हुई है, वार्ता के बाद मोदी जी ने ट्रम्प को दूरदर्शी नेता बताया है। अगर यह सच है तो बेहद शर्मनाक है, एक ऐसे दौर में जब अमेरिका की जनता ट्रम्प के खिलाफ अभूतपूर्व प्रतिरोध में उतरी हुई है, जब पूरी दुनिया का लोकतांत्रिक जनमत ट्रम्प के खिलाफ गुस्से में उबल रहा है, उस समय ट्रम्प को दूरदर्शिता के खिताब से नवाजना न सिर्फ घोर अमानवीय और अनैतिक है, कूटनीतिक दृष्टि से भी भारत को लोकतांत्रिक विश्व से अलग-थलग करने वाला है।
महात्मा गांधी का यह देश, जिनकी दक्षिण अफ्रीका से शुरू हुई ऐतिहासिक रंगभेद विरोधी लड़ाई, कालांतर में इस लड़ाई के सबसे बड़े नेताओं मार्टिन लूथर और नेल्सन मंडेला के लिए सबसे बड़ा प्रेरणास्रोत बनी, उस देश का नेता आज दुनिया में रंगभेद के सबसे घृणित चेहरे की चाहे जिस भी बहाने तारीफ करे, वह गांधी के सपनों और आदर्शों का अपमान है। आज अमेरिका से आने वाले विजुअल्स पूरी दुनिया को झकझोर रहे हैं, कहा जा रहा है कि मार्टिन लूथर की हत्या के बाद हुए प्रतिवाद के बाद पिछली आधी सदी के ये सबसे व्यापक और जुझारू प्रतिरोध हैं। वह अमेरिकी जनता जो कोरोना महामारी की ट्रम्प द्वारा भयावह दुर्व्यवहार के कारण 1 लाख के ऊपर मौतों के बावजूद सड़क पर नहीं उतरी, वह अब खतरनाक कोरोना की भी परवाह न करते हुए, अपनी जान पर खेलकर वाईट होउस घेर रही है !
माना जा रहा है कि यह ट्रम्प के खिलाफ पिछले 4 वर्षों से संचित आक्रोश, नफरत, बेचैनी और उदासी का विस्फोट है-सर्वोपरि वहां नस्ली हिंसा, डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार बिडेन के शब्दों में जो structural racism है, वह ट्रम्प की नफरती राजनीति और प्रोत्साहन से जिस खतरनाक मुकाम पर पहुंच गया है, जिस तरह करोड़ों लोग, जिनमें सबसे ज्यादा अश्वेत हैं बेरोजगार हुए हैं और लाखों लोग, जिनमें फिर सबसे ज्यादा अश्वेत हैं, वे काल के गाल में समा गए ! उस ट्रम्प को जो अमेरिकी इतिहास के सबसे बदनाम, नकारा राष्ट्रपति के बतौर विदाई की राह पर है, जो आज अमेरिका में चरम अलगाव झेल रहा है उसे पहले अमेरिका में जा कर “अबकी बार ट्रम्प सरकार” का नारा देकर स्थापित करना, फिर कोरोना का खतरा मोल लेते हुए ” नमस्ते ट्रम्प” (जिसकी कीमत शायद आज अहमदाबाद की जनता चुका रही है) का तमाशा और अब दूरदर्शी नेता का ख़िताब, यह दोनों देशों के हितों से ज्यादा दोनों नेताओं के वैचारिक साम्य, दोनों की तकदीर एक ही तरह की विभाजनकारी नफरती राजनीति की डोर से बंधे होने का परिणाम अधिक लगता है। लेकिन किसी अपराध बोध में इसमें लुका छिपी का खेल भी जारी है। पहले ट्रम्प ने दावा किया कि मेरी मोदी से बात हुई है, वे बेहद खराब मूड में है चीन को लेकर। उन्होंने भारत चीन के बीच मध्यस्थता की पेशकश भी कर दी।
बहरहाल इस पर मोदी सरकार की ओर से तुरन्त खंडन आ गया कि 4 अप्रैल को हाईड्रोक्लोरोकुयिन पर वार्ता के बाद कोई बात ही नहीं हुई है। हाालांकि बातचीत की बात को अब केंद्र ने आधिकारिक तौर पर मान लिया है। बहरहाल, अब मोदी जी द्वारा ट्रम्प के लिए दूरदर्शिता का यह खिताब ! ट्रम्प द्वारा सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के बाद अब जी-7 का झुनझुना पकड़ाया गया है !
दरअसल, ट्रम्प ने आज पूरी दुनिया को एक नये शीत-युद्ध की ओर धकेल दिया है, और भारत को अपने मोहरे की तरह इस्तेमाल करना चाहता है।
हमें ऐसी किसी साजिश का शिकार होने से बचना चाहिए, पहले शीतयुद्ध की तरह ही इस बार भी हमारे राष्ट्रीय हित अमेरिकी पल्लू में बंध कर सुरक्षित नहीं हैं !
हाल ही में हाईड्रोक्लोरोकुयिन के सवाल पर ट्रम्प ने हमें खामियाजा भुगतने की जो चेतावनी दिया था, उस राष्ट्रीय अपमान को यह स्वाभिमानी देश कभी भूल नहीं सकता !