श्रमिकों के लिए ये संकट काल है, उनकी मदद करना ही हम सबका उद्देश्य है: प्रियंका गाँधी
कांग्रेस महासचिव ने सोशल मीडिया पर लाइव होकर अपनी रखी अपनी बात
लखनऊ: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव व प्रभारी उत्तर प्रदेश प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया पर लाइव होकर अपनी बातों को रखा। महासचिव ने कहा कि काफी समय से हम देख रहे हैं कि हमारे प्रवासी भाई-बहन भीषण परिस्थियों में कड़ी धूप में बगैर खाये-पीये पैदल अपने गांव की ओर चल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कल मैंने वीडियो देखा जिसमे एक प्रवासी कश्मीर से सहारनपुर पैदल चल के आया, उसे आगे बिहार तक जाना है। आप सबने देखा कि कई बहनें गर्भवती हैं, बावजूद इसके 6 से 8 घंटे कड़ी धूप में चल रही हैं। कुछ अपने बच्चों को गोद में लेकर जा रहे हैं। एक जगह बूढ़े दादा और दादी अपने पोते-पोतियों को झूला बनाकर कंधे में उठाकर जा रहे हैं।
प्रियंका गांधी ने कहा कि हम सबको अपनी जिम्मेदारी समझनी पड़ेगी। यह भारत के वह लोग हैं जो देश की रीढ़ की हड्डी हैं। जिन्होंने इस देश की इमारत को बनाई, जिनके खून और पसीने से देश चलता है, इनके प्रति मेरी, आपकी सबकी राष्ट्र की जिम्मेदारी है। यह राजनीति का समय नहीं है।
उन्होंने कहा कि मैं बहुत ही स्पष्ट कह रहीं हूँ। राजनीतिक दल राजनैतिक परहेजों को दूर करते हुए सकारात्मक भाव से, सेवा भाव से लोगों की मदद में शामिल हों।
महासचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने इसी भावना को लेकर जैसे ही लॉकडाउन की घोषणा हुई थी उसके अगले दिन ’हमने हर जिले में वालंटियर ग्रुप बनाएं, जिसे कांग्रेस के सिपाही का नाम दिया। इन वालंटियर्स ग्रुप के जरिये हमने हेल्प लाइन नम्बर जारी किये, दिन रात खाना, राशन पानी देने का काम कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि इसके अलावा ’हमने साझी रसोइयां खोली, हाइवे के टास्क फोर्स बनवाये’। जो हाइवे पर चल रहे हैं उनकी मदद के लिये हमारे बड़े लीडर, ग्रामीण व जिला स्तर के कार्यकर्ता अपने ही साधनों से दिन रात मदद कर रहे हैं।
प्रियंका गांधी ने कहा कि ’हमने अभी तक 67 लाख लोगों की मदद किया है उनमें 60 लाख उत्तर प्रदेश के और 7 लाख जो उत्तर प्रदेश से बाहर फंसे हुये थे, जिन्हें खाना,राशन की जरूरत थी, उन्हें वापस लाने के लिये कोऑर्डिनेशन कर रहे हैं।’ हमारी सेंट्रल हेल्पलाइन है जिसके जरिये हम दिन रात मदद कर रहे हैं। हम मदद करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी भावना शुरू से सकारात्मक रही है। सेवा का भाव रहा है। इसी भाव से सकारात्मक रूप से हमने मुख्यमंत्री जी को सुझाव दिये कि आपको ठीक लगे तो अमल करें। जहाँ जहाँ हमें उनके काम अच्छे लगे हमने तारीफ भी की, स्वागत भी किया।
प्रियंका गांधी ने कहा कि कुछ समय से हम कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के प्रवासी भाई बहन हैं, उन्हें वापस बुला लीजिये। वे बसों में बैठकर सुरक्षित अपने घर जा सके। इस संबंध में सुझाव भी दिये थे।
उन्होंने अपने लाइव वीडियो में कहा कि जब कई सड़क हादसे हुये, हमने देखा कि यूपी की रोडवेज की बसें सक्रिय नही हैं। हमने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी कि हम 1000 बसें उपलब्ध करवाएंगे। गाजियाबाद और नोएडा बॉर्डर पर इन बसों को लगायेंगे और आप यदि इन्हें संचालन की अनुमति देंगे तो प्रवासी श्रमिको को बस में बैठाकर घर पहुंचाएंगे।
उन्होंने कहा कि अगले दिन मुख्यमंत्रीजी ने ऐलान किया कि यूपी में 12000 बसें हैं, इन्ही का इस्तेमाल होगा। आपकी बसों की जरूरत नहीं है, हमने 500 बसें खड़ी की थीं उसे वापस करना पड़ा।
उसके बाद एक चिट्ठी मिली कि 1000 बसें और चालक-परिचालक का नाम, फिटनेस टेस्ट और बसों का सर्टिफिकेट आदि दे दीजिये, ये हमारे पास पहुंचा दीजिये।
प्रियंका गांधी ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया, और हमने 4-5 घंटो में बसों की लिस्ट उपलब्ध करवा दी।
फिर रात को 11.30 बजे के करीब चिट्ठी मिली कि अपनी 1000 बसों को लखनऊ पहुंचा दीजिये।कल सुबह 10 बजे। हमने कहा हमारी बसें खाली दिल्ली से लखनऊ जायेंगी। इन बसों का मकसद ही था कि एनसीआर गाजियाबाद और नोएडा से श्रमिको को बिठाकर उनके गांव तक पहुंचाया जाये। उन्होंने कहा कि लखनऊ तक खाली बसों का चलना तो पूरे मकसद को ही खत्म कर देता है। हमने सुझाव दिया कि गाजियाबाद, नोएडा में बसें तैयार रखेंगे आप परमिट दे दीजिएगा।
प्रियंका गांधी ने कहा कि इसके बाद राजनीति का सिलसिला शुरु हुआ कि लिस्ट गलत दे रहे हैं, चालक-परिचालक का नाम गलत है। मैं सरकार पर कोई सवाल नहीं करना चाहती। अगर कुछ चालक-परिचालक का नाम गाड़ियों की गलत लिस्टिंग हुई है, तो आप भेज दीजिये, हम दूसरी लिस्ट भेज देंगे।
यदि 17 तारीख को हमारी 500 बसों को अनुमति मिल जाती तो 20 हजार लोग घर पहुँच जाते हैं। कल 900 बसें लगी थी, 500 यूपी-राजस्थान के बॉर्डर पर और शेष गाजियाबाद-दिल्ली बॉर्डर पर ।यदि अनुमति मिलती तो कल 36 हजार और आज 36 हजार यानी 72 हज़ार लोग लोग अपने घर पहुँच जाते।
उन्होंने कहा कि प्रशासन ने जिन पॉइंटस में बसें लगाने को कहा था वहां तक बसें पहुंचने ही नहीं दे रहे हैं। बसें खड़ी रही, आज भी खड़ी रहीं। बसें 4 बजे तक खड़ी रहेंगी, आपको इस्तेमाल करना है तो कर लीजिये। आप अनुमति दीजिए। आपको भाजपा के झण्डे लगाने है, भाजपा के स्टिकर लगाना है, तो बेशक लगाइये, आपको इन्हें अपनी बसें कहना है तब भी आप बसें लगाइये। इन बसों को चलने दीजिये।
उन्होंने कहा कि जब तक आप राजनीतिक बयानबाजी करते तब तक हजारों लोग घर पहुंच जाते। वही लोग आज तमाम मुसीबतों को झेलकर पैदल चल रहे हैं। मेरा मुख्यमंत्री से आग्रह है कि बसें 4 बजे तक बॉर्डर पे खड़ी रहेंगी। आप इन्हें चलाने का परमिट दीजिये। यदि परमिट नहीं मिला तो बसें वापस करना पड़ेगा। पहले भी 500 बसों को वापस भेजना पड़ा।
उन्होंने कहा कि प्रवासी भाई-बहनों से अपील है कि हम पहले की तरह ही सेवाभाव से आपकी मदद करते रहेंगे। कांग्रेस पार्टी का एक-एक नेता कार्यकर्ता आपके साथ है। आप जिस जिले-शहर से गुजरेंगे आपको खाना, राशन, पानी उपलब्ध करेंगे। आपको जिस सुविधा की जरूरत होगी, वो भी उपलब्ध होगी। हमारी जितनी क्षमता है, हम आपकी मदद करेंगे। इस संकट में हम आपके साथ खड़े हैं।