नई दिल्ली:
भारत में इस समय साकार विश्व हरि के नाम से लोकप्रिय ‘भोले बाबा’नाम के उपदेशक की चर्चा हो रही है, हाथरस के सिकंदरराऊ इलाके के फुलरई गांव में नारायण साकार विश्व हरि के नाम से लोकप्रिय ‘भोले बाबा’ के सत्संग में हुई भगदड़ की घटना में 121 लोगों की मौत हो गई। घटना के बाद से ही बाबा फरार है। दूसरी तरफ बाबा रजिंदर कालिया पर यौन शोषण और वित्तीय शोषण के लिए आठ मिलियन पाउंड का जुर्माना लगाया गया है। वहीँ ब्रिटेन में भारतीय मूल के एक स्वयंभू बाबा रजिंदर कालिया का नाम चर्चा में आया है। इन दोनों बाबाओं में एक बात कॉमन है। नारायण साकार विश्व हरि के भक्त उसे उसे भगवान कृष्ण का अवतार और तीनों लोकों का स्वामी बताते हैं। वहीं बाबा रजिंदर कालिया खुद को “पृथ्वी पर भगवान” कहता है।

बाबा रजिंदर कालिया पर अपनी महिला अनुयायियों, जिनमें से कुछ चार साल की उम्र की थीं, का यौन शोषण करने का आरोप लगाया गया है। उसके उपर खुद को भगवान बता बच्चियों से 1300 बार रेप करने का आरोप है। राजिंदर कालिया ब्रिटेन के कोवेंट्री में एक मंदिर का मुख्य पुजारी है। उस पर युवा लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न करने का आरोप है।

मेट्रो यूके की एक रिपोर्ट के मुताबिक चार महिलाओं ने दावा किया है कि कालिया ने उनका यौन शोषण किया। इनमें से एक पीड़िता ने दावा किया कि उसके साथ दो दशकों में 1,320 से अधिक बार दुर्व्यवहार किया गया। एक अन्य पीड़िता आगे आई और उसने कहा कि उसे बाल शोषण का सामना करना पड़ा। एक तीसरी पीड़िता ने कहा कि कालिया ने बर्मिंघम के एक होटल में उसके साथ बलात्कार किया। एक अन्य ने दावा किया कि जब वह चार साल की थी, तब उसे गलत तरीके से गले लगाया और चूमा था। बाद में इसी लड़की के साथ वयस्क होने पर बलात्कार किया।

तीन अन्य पीड़ित सामने आए हैं और कहा है कि कालिया के साथ रहने के दौरान उन्हें वित्तीय धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा, जिससे उन्हें सैकड़ों हजारों पाउंड का नुकसान हुआ। हालांकि 68 वर्षीय कालिया ने सभी आरोपों से इनकार किया है।

रजिंदर कालिया कोवेंट्री के सिद्ध बाबा बालक नाथ जी सोसायटी का प्रमुख है। कालिया ने “भगवान का अवतार” होने का दावा किया है। उसने 1983 में पंजाब, भारत से यूके जाने के बाद प्रचार करना शुरू किया। कालिया ने दावा किया है कि उसने किशोरावस्था से ही चमत्कारों का अनुभव किया है। कहा गया था कि मोटरसाइकिल दुर्घटना के बाद वह फिर से चल नहीं पाएगा, लेकिन हिमाचल प्रदेश में बाबा बालक नाथ की यात्रा के बाद वह अपने पैरों पर चलने लगा।