टीबी से उबरने में सहायता के लिए याद रखने योग्य बातें
डॉ. ओ. पी. चौधरी, एमबीबीएस
भारत दुनिया के उन देशों में से एक है जहां पर टीबी का प्रकोप काफी ज्यादा है। एक अनुमान के अनुसार साल 2020 में लगभग 25.9 लाख नए मामले उभर कर सामने आए और करीब 5 लाख लोगों ने इस रोग के कारण अपनी जान गंवाई| साल 2020 में दुनिया भर में करीब एक करोड़ लोगों में टीबी का रोग पाया गया और लगभग 15 लाख लोगों की इस रोग से मृत्यु हुई।
कोविड-19 महामारी ने परिस्थितियों को और ज्यादा गंभीर बना दिया है और राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसका कारण दोनों बीमारियों के समान लक्षण, लोगों में डर, बदनामी, और उपलब्ध सेवाओं को प्राप्त करने के लिए उपचार केंद्र तक पहुचने में मरीज़ों के सामने आने वाली चुनौतियां है। इसके समाधान के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) ने राज्य के स्वास्थ्य विभागों को यह सुनिश्चित करने के लिए कई दिशा निर्देश जारी किए कि टीबी सेवाएं जरूरतमंद लोगों के लिए उपलब्ध रहें। मंत्रालय द्वारा जारी किए गए प्रमुख निर्देशों में से एक था टीबी और कोविड-19 की द्वि-दिशात्मक (बाई-डाइरेक्शनल) जांच किया जाना। इसका अर्थ है कि सभी टीबी मरीजों की कोविड 19 जांच होनी चाहिए और सभी कोविड-19 रोगियों की टीबी के लिए जांच होनी चाहिए क्योंकि एक ही रोगी में कोविड-19 और टीबी की बढ़ती हुई चुनौती को देखते हुए, यह उपाय महत्वपूर्ण था।
अब भारत में कोविड-19 महामारी घट रही है और देश के अधिकांश हिस्सों में इसका असर काफी कम हो चुका है। ऐसे में यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि टीबी पर दोबारा दिया जाए और इस रोग का जल्दी से पता लगाने और निर्धारित उपचार के पालन पर जोर दिया जाए। गलत दवा या निर्धारित उपचार का पालन न करने से दवा प्रतिरोधी टीबी रोग विकसित हो सकता है जो कि आम तौर पर टीबी के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं का प्रतिरोधक है। दवा प्रतिरोधक टीबी से कई तरह की चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं जैसे कि उपचार की अवधि बढ़ना या लंबा उपचार, महंगी दवाइयां और अन्य कई दुष्प्रभाव जो मरीजों को इलाज पूरा करने से हतोत्साहित कर सकते हैं।
टीबी के साथ भारत की लड़ाई अभी भी बहुत लंबी है, ऐसे में टीबी योद्धाओं और रोगियों की ओर से ठोस प्रयास की आवश्यकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय जो की टीबी के मामलों को निम्न स्तर पर लाने के लिए प्रतिबद्ध है, लगातार टीबी चैंपियंस के साथ साझेदारी से रोगियों में जल्दी से इस रोग का पता लगाने, उपचार और परामर्श में सहायता करके उन्हे इस बीमारी से लड़ने में मदद करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है।
अगर आपकी टीबी से लड़ाई जारी है तो उपचार के दौरान इन बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है:
पूरा उपचार कराएं: यह सुनिश्चित करें कि डॉक्टर की सलाह से जो निर्धारित उपचार बताया गया है उसका पूर्ण रूप से पालन हो। उपचार के दौरान दवाओं के दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, ऐसे में ज़रूरी है कि उपचार को जारी रखें और अपने डॉक्टर से सलाह ली जाए। यह याद रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि इलाज बंद नहीं करें और डॉक्टर की सलाह का पूरा पालन करें।
पौष्टिक आहार का सेवन करें: भारत सरकार की तरफ से हर टीबी मरीज को उसकी पूरी उपचार अवधि के दौरान हर महीने 500 रुपये का पोषण भत्ता सहायता के रूप में दिया जाता हैं। इसका इस्तेमाल करके पौष्टिक भोजन लें। हरी पत्तेदार सब्जियां, जैसे की लेटुस, पालक आदि को अपने आहार में शामिल करें। इससे शरीर में ताकत बढ़ने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। टोफू, मूंगफली ,पनीर, चीज़ जैसे खाद्य पदार्थ आपके शरीर को प्रोटीन प्रदान करते हैं।
एंटीऑक्सिडेंट्स और विटामिन ‘सी’ से भरपूर संतरा, आंवला, टमाटर जैसे फल भोजन में अच्छे विकल्प हैं। ये शरीर की ताकत बढ़ाते हैं और ज़हरीले तत्वों को शरीर से बाहर रखने में मदद करते हैं। विटामिन ‘ए’ से भरपूर फल जैसे आम, पपीता, मौसंबी भी काफी सेहतमंद होते हैं। अपने आहार में साबुत अनाज (होल ग्रेन) ब्रेड, पास्ता, धान्य (सिरियल्स) और दालों को शामिल करें। इनका सेवन हमारे शरीर को ताकत देता है और शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति का निर्माण करता है।
कुछ उत्पादों से दूर रहें: टीबी रोगियों को जल्दी से ठीक होने के लिए नीचे दिए गए खाद्य पदार्थों/ पदार्थों से बचना चाहिए – शराब (दवा की विषाक्तता को बढ़ाती है), कार्बोनटेड ड्रिंक्स, ज्यादा चाय/काफी कैफीन की वजह से, तंबाकू और इससे संबंधित उत्पाद, अत्याधिक नमक/मसाले, रोगी के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
कसरत: कसरतें जैसे कि तेजी से चलने से हमारे शरीर में ताजी हवा जाती है और हम अच्छा महसूस करते हैं। योग, स्थिर साइकलिंग, लाइट रनिंग/ जॉगिंग और रेज़िस्टेंस ट्रेनिंग भी हमें स्वस्थ रहने में सहायता करते हैं। लेकिन हमें उतनी ही कसरत करनी चाहिए जितनी आसानी से की जा सके विशेषरूप से उपचार के दौरान।
यह भी याद रखना बहुत जरूरी है कि कोविड-19 की वजह से सभी आम या सार्वजनिक जगहों पर खांसी संबंधी सावधानियों (शिष्टाचार) का खास पालन किया जाए।
सबसे आखिर में यह बात ज़रूर याद रखें कि टीबी किसी को भी हो सकता है लेकिन सही दवाओं और निर्धारित उपचार का पालन करके इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। हम सभी को मिलकर इस रोग से जुड़े बदनामी के डर को कम करने में सहायता करनी चाहिए और लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए कि वे जल्द से जल्द अपना उपचार कराएं। हम सभी एक साथ मिलकर टीबी के लिए जन आंदोलन का निर्माण करें और भारत को टीबी मुक्त बनाने का दृढ़ प्रयास करें।