लखनऊ
भाकपा (माले) ने सुल्तानपुर एनकाउंटर की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है। पार्टी ने कहा है कि मृतक मंगेश यादव के परिजनों के कथन और मुठभेड़ की पुलिसिया कहानी में जमीन आसमान का फर्क है, लिहाजा सच्चाई का पता लगाने के लिए निष्पक्ष जांच जरुरी है।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने रविवार को जारी बयान में कहा कि प्रदेश में कानून का राज खत्म हो गया है। बुलडोजर राज, पुलिस राज और एनकाउंटर राज मौजूदा सरकार की पहचान से जुड़ गए हैं। संविधान को ताक पर रखकर योगी सरकार न्यायपालिका के फैसले खुद करने लगी है। मुख्यमंत्री योगी की पुलिस ने भी आरोपियों को न्यायालय से दंड दिलाने की जगह खुद ही दंड देने का जिम्मा ले लिया है। ऐसा मुख्यमंत्री द्वारा पुलिस को दी गई खुली छूट के कारण है। प्रदेश में ‘ठोक दो’ की नीति चल रही है। एनकाउंटरों में हत्या को ‘उपलब्धि’ के रुप में प्रचारित किया जाता है। हिरासती मौतों से लेकर फर्जी एनकाउंटरों में प्रदेश अव्वल बना हुआ है। लोकतंत्र और संविधान को अन्यथा शर्मिंदा करने वाली ये बातें योगी सरकार के लिए गौरव का विषय हैं, जिस पर भाजपा नेतृत्व उसकी पीठ भी थपथपाता है।

माले नेता ने कहा कि कानून के अनुसार अपराध कितना ही बड़ा क्यों न हो, दंड का निर्धारण न्यायालय को करना होता है। लेकिन यहां सरकार और पुलिस ही सब कुछ कर रही है। सुल्तानपुर एनकाउंटर मामले में मृतक के परिजनों का पुलिस पर स्पष्ट आरोप है कि वह एनकाउंटर से दो दिन पहले पूछताछ के लिए आरोपी मंगेश यादव को पकड़कर ले गई थी और गुरुवार को उसकी हत्या कर एनकाउंटर का रुप दे दिया। यदि इसमें सच्चाई है, तो आरोपी से बड़ा अपराध पुलिस और एसटीएफ ने किया है, जो उसे आत्मरक्षा में मार गिराने का दावा कर रहे हैं। इससे पहले भी कई एनकाउंटरों की पुलिसिया कहानियां जांच में फर्जी साबित हुई हैं और दोषी पुलिसकर्मी अदालतों से दंडित हुए हैं।

उन्होंने आगे कहा कि मौत की मजिस्ट्रेटी जांच सच्चाई जानने के लिए पर्याप्त नहीं है, क्योंकि इस घटना में योगी सरकार की शक्तिशाली पुलिस शामिल है।