न्यायतंत्र को बहुसंख्यकवादी बनाकर लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश हो रही है: अपूर्वानंद
यूपी माइनॉरिटी कांग्रेस ने दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में पूजा स्थल अधिनियम 1991 पर किया परिचर्चा का आयोजन
नई दिल्ली | उत्तर प्रदेश माइनॉरिटी कांग्रेस ने रविवार 22 दिसंबर 2024 को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में पूजा स्थल अधिनियम की अवमानना और अदालतों के रवैय्ये पर परिचर्चा का आयोजन किया। इस परिचर्चा में पार्टी के पदाधिकारी, बुद्धिजीवी, और विधि विशेषज्ञों ने इस कानून के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कई उदाहरण देते हुए न्यायिक तंत्र पर न्यायालयों द्वारा ही प्रहार किए जाने के प्रमाण दिए। उन्होंने कहा कि क़ानून का दुरुपयोग किसी के साथ नहीं होना चाहिए। लेकिन हम देख रहे हैं कि न्याय के तरीकों और तर्कों को बहुसंख्यकवादी आधार देने की कोशिश हो रही है। इससे न्यायपालिका अपनी संवैधानिक भूमिका से भटक रही है जिससे लोकतंत्र कमज़ोर होता जा रहा है।
अपूर्वानंद ने कहा कि सवाल यह नहीं है कि पूजा स्थल अधिनियम की अवमानना करते हुए याचिकाएं दाखिल की जा रही हैं बल्कि सवाल ये है कि इसे लेकर समाज में और राजनैतिक पार्टियों में शून्यता देखी जा रही है जो कि चिंता का विषय है।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता शारिक़ अहमद अब्बासी ने अपनी बातें साझा करते हुए पूजा स्थल अधिनियम 1991 के क़ानूनी पहलुओ पर विस्तार से चर्चा की और बताया कि कैसे अदालतों का एक हिस्सा सत्ता के एजेंडे को सूट करने वाले निर्देश दे रहा है। उन्होंने बनारस की ज्ञानवापी और मथुरा के शाही ईदगाह और श्री कृष्ण मंदिर का उदाहरण देकर बताया कि अदालतों ने पूजा स्थल अधिनियम के खिलाफ़ जाकर याचिकाएं स्वीकार कीं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस के अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कहा कि जो काम सरकार खुद नहीं कर सकती उसे न्यायपालिका के एक हिस्से के सहयोग से करवा रही है। इसलिए लोगों को न्यायपालिका और जजों के फैसलों और निर्देशों की समीक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा कि न्यायालय जानवरों की संख्या के कम या अधिक होने को लेकर स्वतः संज्ञान लेता है लेकिन इस देश की सबसे बड़ी माइनॉरिटी को निशाना बनाने के मकसद से कोर्ट की अवमानना करते हुए जब याचिकाएं दाखिल की जाती हैं तो जज और कोर्ट ख़ामोश रहते हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव प्रदीप नरवाल ने कहा कि अगर दलित समाज भी अपने प्राचीन बौद्ध विहार और स्तूप खोजने की मांग करने लगे तो पूरा देश ही खोदना पड़ेगा। इसलिए सरकार और भाजपा को चाहिए कि पूजा स्थल अधिनियम का सम्मान करे और बेरोजगारी और विकास के मुद्दों को हल करे।
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव तौकीर आलम ने कहा कि कांग्रेस पूजा स्थल अधिनियम की रक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने दूसरे दलों से भी इस क़ानून की रक्षा के लिए आगे आने की अपील की।
दिल्ली स्थित पत्रकार व इंडिया टुमारो के संपादक मसीहुज़्जमा अंसारी ने कहा कि जिस पार्टी ने इस क़ानून को पास किया उसकी तारीफ करनी चाहिए कि उन्होंने संविधान की मूल भावना को बचाने के लिए ऐतिहासिक क़ानून बनाया। अब सभी सेकुलर दलों की ज़िम्मेदारी है कि इसकी रक्षा के लिए मुखर हों।
सम्मेलन को यूपी कांग्रेस के महासचिव अहमद हमीद, यूपी कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव शोऐब खान, ओबीसी कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव हेमंत प्रधान, हसन आतिफ को संबोधित किया।
कार्यक्रम का संचालन यूपी अल्पसंख्यक कांग्रेस के उपाध्यक्ष अखलाक अहमद और डॉ. खालिद मोहम्मद ख़ान ने किया।
कार्यक्रम के अंत में विवेकानंद पाठक ने धन्यवाद भाषण दिया और सभी अतिथियों के साथ साथ श्रोताओं का भी आभार व्यक्त किया।