लखनऊ
इमामबाड़ा गुफ़रान मआब में मुहर्रम की दूसरी मजलिस को ख़िताब करते हुए मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने अज़ादारी और ज़िक्रे इमाम हुसैन अ.स की अज़मत को बयान किया।

मौलाना ने कहा की हमारी अज़ादारी को रियाकारी से पाक होना चाहिए। हर वक़्त हमारे पेशे नज़र यही रहे कि अल्लाह और अहलेबैत अ.स हमारी अज़ादारी को क़ुबूल कर लें क्योकि जब तक वो सनदे क़ुबूलियत नहीं देंगे हमारा कोई अमल अल्लाह की बारगाह में क़ाबिले क़ुबूल नहीं होगा। मैदाने अमल में हुस्ने नियत शर्ते क़ुबूलियत हैं कसरते अमल नहीं। मौलाना ने ज़िक्रे हुसैन अ.स और मजलिसे अज़ा की अहमियत और अज़मत बयान करते हुए कहा कि ये मजलिसें एने दीन हैं। अल्लाह ने अर्श पर मजलिसे हुसैन बरपा की हैं। अम्बिया ने मुसीबते इमाम हुसैन अ.स पर गिरया किया हैं। ख़ुद रसूले इस्लाम (स.अ.व) ने शहादते इमाम हुसैन अ.स की ख़बर दी हैं और अपने फ़रज़न्द की मुसीबत पर गिरया फ़रमाया हैं। इस लिए इन मजलिसों को बिदअत न समझा जाये बल्कि ये सुन्नते अम्बिया के मुताबिक़ हैं।

मजलिस के आख़िर में मौलाना ने मदीने से इमाम हुसैन अ.स के सफर के वाक़िये को बयान किया। साथ ही इमाम के करबला में वुरूद और हज़रत उम्मुल मोमेनीन उम्मे सलमा की रिवायत के ज़रिये शहादत इमाम हुसैन अ.स की पेशन गोई को भी बयान किया।