वजीरेआला योगी के गढ़ में बीजेपी के लिये जीत की राह आसान नहीं
मोहम्मद आरिफ नगरामी
उत्तर प्रदेश असेम्बली की चार सोै तीन सीटों के लिये सात मरहलों में एलेक्शन हो रहे हैं जिसमें पांच मरहलों में पोलिंग हो चुके हैं। अब दो मरहलों की पालिंग बाकी है। पांच मराहिल में हस्बे उम्मीद मुजाहिरा न करने के बाद बीजेपी ने बाकी के दो मरहलों के लिये ऐडी चोटी का जोर लगा दिया है जिसकी कमान खुद वजीरे आजम नरेन्द्र मोदी ने सम्भाल ली है। जिनका साथ देने के लिये पार्टी के चाणक्य अमित शाह, बीजेपी के सदर, जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के वजीरे आला योगी आदित्य नाथ समेत दर्जनों स्टार प्रचारकों और सैंकडों लीडरों की टीम है। आखिरी बचे दो मरहलों में वजीरे आजम नरेन्द्र मोदी और वजीरे आला योगी दोनों का ही वेकार दावं पर लगा हेै।
एलेक्शन के छठे मरहले में जो कि 3 मार्च को होगा वजीरे आला योगी और उनके पांच वुजरा इन्तेखाबी मैदान में हैं जिनमें वजीरे जराअत, सूर्य प्रताप शाही, वजीरे तालीम डॉ0 सतीश चन्द्र द्विवेदी, वजीरे सेहत जय प्रताप सिंह, ममलिकती वजीर, श्री राम चौहान और ममलिकती वजीर जय पसाद निषाद ने अपने अपने इन्तेखाबी हल्के में जीत के लिये पूरी ताकत लगा दी है।
उत्तर प्रदेश के वजीरे आला योगी आदित्य नाथ गोरखपुर की शहर सदर की सीट से बीजेपी के उम्मीदवार हैं वह पहली बार असेम्बली क लिये एलेक्शन लड रहे हैं, इससे कब्ल वह पांच मरतबा इसी गोरखपुर की सीट जीत कर लोक सभा पहुंच चुके हैं। जराय के मुताबिक बीजेपी आला कमान ने पहले योगी जी को अयोध्या, मथुरा और वाराणसी से अपना उम्मीदवार बनाने का इरादा किया था ताकि योगी जी की फायर ब्रोंड श्बहीह से आस पास की सीटों पर भी फायदा उठाया जा सके। आला कमान के अलावा खुद योगी जी ने खुफिया तौर पर इन अजला के वोटर्स के बारे मेें मालूमात हासिल कीं थी। इस में पता चला कि वजीरे आलाप योगी आदित्य नाथ के मैदान में आने से कोइ्र खास फायदा नहीं होगा। जिसके बाद पार्टी ने उनको गोरखपुर की सदर सीट से मैदान में उतारने का फैसला किया है। वाजेह रहे कि योगी जी का किला कहे जाने वाले गोरखपुर जिले में असेम्बली की 9 सीटें हैं। 2017 में 9 मेें से आठ नशिस्तों पर कमल खिला था जब कि एक सीट पर बीएसपी के उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। योगी जी के किला गोरखुपर सदर सीट से दावेदारी पेश करने के बाद समाजवादी पार्टी के पार्लियमेंट के जिम्नी एलेक्शन में बीजेपी के टिकट पर गारेखपुर से एलेक्शन लडने वाले उपेन्द्र शुक्ला की अहलिया सभावती को अपना अम्मीदवार बनाया है। इसी तरह इस सीट पर ब्रहमन और ठाकुर परिवाार के उम्मीदवारों के मैदान में आने और आजाद समाज पार्टी के चन्द्र शेखर के योगी जी के खिलाफ ताल ठोंकने के बाद मायावती ने यहां से एक मुस्लिम उम्मीदवार ख्वाजा शम्शुद्दीन को टिकट दे कर एलेक्शन को दिलचस्प और कांटे का बना दिया है। जानकारों का मानना है कि इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारने से बीएसपी के अपने कैडर के अलवा मुस्लिम समाज के तकरीबन पचास हजार वोट बीजेपी से नाराज ब्रहमन समाज और ओबीसी के वोट हासिल होने की उम्मीद है। आबादी के तनासुब से ख्वाजा शम्शुद्दीन, मायावती के भरोसे को बरकरार रख पायें यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा लेकिन मायावती ने इस सीट पर शोसल इन्जीनियरिंग को जो फारमूला पेश किया है उसकी काट दूसरी सियासी पार्टियोंके पास नहंी हे। बहर हाल 2017 के मकाबले में हालात बहुत हद तक तब्दील हो चुके हैं। इस बार बीजेपी को जिला गोरखपुर में जबर्दस्त मजाहेमत का सामना है। गोरखपुर शहर सदर की सीट जहां से वजीरे आला एलेक्शन लड रहे हैं, जात पात के आदाद शुमार के मुताबिक सब से ज्यादा 90 हजार कायस्थ, 55 हजार ब्रहमन, 20 हजार ठाकुर और पचास हजार मुस्लिम वोटर हैं इसके अलावा पंजाबी, सिन्धी, बंगाली मिलाकर 30 हजार वोट हैं। ख्याल रहे कि शहर सीट बीजेपी के लिये सब से महफूज सीट मानी जाती है। असेम्बली इन्तेखाबात में 1989 सवे 1997 तक मुसलसल कामयाबी मिली है। 2002 के इन्तेखाब में हिन्दू महा सभा के उम्मीदवार डॉ0 राधा मोहन दास अग्रवाल ने बीजेपी के उम्मीदवार शिव प्रताप शुक्ला को हराया था। ताहम बाद में डॉ0 राधा मोहन दास बीजेपी में शामिल हो गये और फिर 2007 से 2017 तक बीजेपी के टिकट पर फतेहयाब होते रहे। डॉ0 राधा मोहन दास ने 2017 में एसपी और कांग्रेस के मुशतरका उम्मीदवार राना राहुल सिंह को एक लाख से ज्यादा वोटों से हराया था।
उत्तर प्रदेश में पांच मरहलों की पोलिंग के बाद बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों ही अपनी जबर्दस्त जीत का दावा पेश कर रही हैं मगर उत्तर प्रदेश में पांच मरहलों की वोटिंग के बाद रूजहानात से मुमकिना नताएज का इशारा मिलता है। पांच मरहलों की वोटिंग के बाद बीजेपी के लीडर यह तय नहंी कर पपा रहे हैं कि वह किस राह का इन्तेखाब करें ओर किस तरह अवाम तक अपना पैगाम पहुंचायें। खुद वजीरे आजम और अमित शाह जिनकी जोडी इन्तेखाबात की माहिर ओर इन्तेखाबी शतरंज की बिसात को उलट कर रख देने की सलाहियत और महारत के लिये मशहूर हैं। ऐसे ऐसे बयान दे रहे हैं जिन से उनकी पार्टी नुकसान से बचने के बजाय मजीद नुकसान की जानिब लुढक रही है। इसके अलावा चौथे मरहले की वोटिंग में मरकजी वजीरे ममलिकत बराये दाखिला, अजय मिश्रा उर्फ टेनी, जिस कडी सुरक्षा में वोट देने के लिये पोलिंग बूथ तक गये हैं, उसका वीडियों बहुत कुछ बयां करता है। वह शख्स जिसने लखीमपुर खीरी सानेहा से कब्ल कहा था कि सुधर जाओं वरना वसुधार देंगें, और हम विधायक और सांसद होने से पहले भी बहुत कुछ हैं, वह शख्स अपने ही एलाके में दहशत के आलम में पोलिंग बूथ तक जायेगा, उसका गुमान भी नहीं था। वह वजीर जिसका तअल्लुक दाखिली उमूर से हो, अगर वह खुद इतना गैर महफूज है तो मुल्क के शहरियों की हिफाजत की जिम्मेदारी कैसे निभा सकता है। यही नहंी उनका बेटा जिसकी गाडी ने किसानों को कुचला था, वह जमानत पर रिहा हो जाने के बाद भी घर से बाहर निकलने की जुरअत नहंी कर पा रहा है। बताया जाता है कि वह घर में नजरबंद है।
2017 में तीन सौ के पास के नारों को पूरा कर दिखाने वाली बीजेपी के खिलाफ रायदेहन्देगान का मूड जो मुख्तलिफ झरोंखो ंसे अपना दर्शन करवा रहा है, इस बात का गम्माज है कि इस वक्त यूपी के रायदेहंदगान, मंदिर मस्जिद, हिन्दू मुस्लिम, जिन्ना, पाकिस्तान और कब्रिस्तान, शमशान के जाले में फंसने के बजाय बेरोजगारी, मंहगाई, किसानों के मसाएल, आवारा मवेशियों के संगीन मसले से निपटने के लिये वोट दे रहा है। मुल्क की जम्हूनियत में शायद पहली बार वोटर इतनेहकीकत पसंदाना अन्दाज में सामने आ रहे हैं, कि ऐसा लगता है कि 2022 का उत्तर प्रदेश जज्बाती पसाएल व मामलात में उलझने के मकाबिले में हकीकी मसाएल को सामने रख कर वोट देने की नजीर कायम कर रीहा है और आइन्दा कई इन्तेखाबात पर असर अन्दाज होगा। अब तक पांच मराहिल की वोटिंग के बाद जितने भी इशारे मिले है, वह सब एक खुशगवार तब्दीली से मुतअल्लिक हैं जो इतने वाजेह हैं कि उन्हें नाबीना भी देख सकता है।