योगी सरकार के 2 करोड़ से अधिक नए रोज़गार सृजन के दावे की असलियत
-राजेश सचान, संयोजक युवा मंच
नीति आयोग की गवर्निंग बाडी की मीटिंग में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जानकारी दी गई कि उत्तर प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर की 50 लाख इकाइयों के वित्त पोषण से 1.80 करोड़ नये रोजगार सृजित हुए हैं। गौरतलब है कि 20 लाख करोड़ के कथित कोरोना पैकेज में एमएसएमई सेक्टर को 3 लाख करोड़ लोन देने की घोषणा केंद्र सरकार ने की थी, मालूम नहीं इसमें उत्तर प्रदेश का हिस्सा कितना था, लेकिन दावा किया गया था कि उत्तर प्रदेश में इससे 2 करोड़ लोगों को लाभ होगा। क्या इन इकाइयों का पुनर्जीवन हुआ है इसके बारे कोई ठोस आंकड़ा पेश करने के बजाय बयानबाजी की जा रही है। सच्चाई यह है कि उत्तर प्रदेश में जो एमएसएसई सेक्टर की लाखों इकाइयां कोरोना काल में और ज्यादा बर्बाद हो गई थीं, उनमें बुनकरी, जूता आदि सेक्टर अभी भी बेपटरी है। उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में कहीं से भी रिपोर्ट नहीं है कि इन इकाइयों को दिये गए 3 लाख करोड़ से इन इकाइयों को कोई खास फायदा हुआ हो, अभी तो यह भी कोई सरकारी डेटा जानकारी में नहीं है कि 3 लाख करोड़ की इस धनराशि में वास्तव में इन इकाइयों को कितना लोन दिया जा चुका है। फिलहाल उत्तर प्रदेश या कहीं भी इन इकाइयों को तो कोई फायदा की रिपोर्ट नहीं ही है।
उत्तर प्रदेश सरकार को यह बताना चाहिए कि 4 साल में देशी विदेशी कंपनियों से भारी भरकम निवेश के जो आफर थे, जो समझौते हुए हैं, उनमें प्रदेश में कितना निवेश हुआ है और कितने रोजगार सृजित हुये हैं। मुख्यमंत्री को यह भी बताना चाहिए कि अगर प्रदेश में 2 करोड़ रोजगार सृजित हुये हैं तो इन चार सालों में बेरोजगारी की दर दुगना से ज्यादा क्यों हो गई, पलायन क्यों बढ़ा है। इसी तरह के आंकड़े सरकारी नौकरी के बारे सरकार द्वारा पेश कर सफल योगी माडल का प्रोपैगैंडा किया जा रहा है।
दरअसल जिस तरह राष्ट्रीय स्तर पर बेकारी बेकाबू हो रही है, उससे अलग स्थिति उत्तर प्रदेश की नहीं है। युवा मंच प्रदेश में लगातार रोजगार के सवाल को उठाता रहा है और प्रदेश में भयावह हो रही बेकारी के सवाल को लेकर आगाह करता रहा है। लेकिन प्रदेश सरकार का जोर वास्तव में रोजगार के सवाल को हल करने के बजाय प्रोपेगैंडा में ज्यादा रहा है जिससे हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं और युवाओं में इससे भारी बेचैनी है। अभी भी प्रदेश सरकार को चाहिए कि सभी रिक्त पदों व लंबित भर्तियों को तत्काल पूरा करने, मनरेगा समेत अन्य योजनाओं में मजदूरों को उनकी जरूरत के मुताबिक काम की गारंटी और रोजगार सृजन के लिए ठोस कदम उठाये।