लखनऊ
इमामबाड़ा गुफ़रानमआब में अशरा ए मुहर्रम की चौथी मजलिस को मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने ख़िताब करते हुए कहा कि हमारे लिए रसूल अल्लाह (स.अ.व) की सीरत और सुन्नत हुज्जत है। जिस तरह पहले मुहम्मद (स.अ.व) की सीरत हुज्जत है उसी तरह आख़री मुहम्मद (स.अ.व) कि सीरत भी हुज्जत है क्योकि ये सब के सब मुहम्मद है। मौलाना ने मजलिस के दौरान जब्र और क़द्र के फलसफे पर भी रौशनी डाली और अइम्मा ए अहलेबैत (अ.स) की अहादीस के ज़रिये इस मसअले की वज़ाहत फ़रमाई।

मौलाना ने मजलिस के दौरान वक़्फ़ करबला अब्बास बाग़ की हिफाज़त के लिए होने वाले एहतेजाज पर कहा कि हमने 6 मुहर्रम को जिलाधिकारी के बंगले पर मजलिस पढ़ने का ऐलान किया है। इंशाअल्लाह मैं एहतेजाज करने वहाँ जाऊंगा। जो आना चाहता है वह हमारे साथ आ सकता है। मौलाना ने कहा कि इस ऐलान के बाद जिला प्रशासन से बातचीत चल रही है। अब्बास बाग़ की करबला पर अदालत का स्टे है, इसलिए वहां कोई निर्माण नहीं हो सकता है। हमने इस संबंध में डी० एम० से बात की, लेकिन उन्होंने कहा कि स्टे में पुलिस को पार्टी नहीं बनाया गया है, इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते। अब डी० एम० साहब बताएं कि स्टे को कौन लागू करेगा? पुलिस की जिम्मेदारी क्या है? वहां लगातार निर्माण कार्य चल रहा है और पुलिस मूक दर्शक बनी हुई है। इसका मतलब यह है कि जिला प्रशासन खुद चाहता है कि फसाद हो। पुलिस का कहना है कि हम वक्फ बोर्ड का रिकॉर्ड नहीं मानेंगे, अगर पुलिस वक्फ बोर्ड का रिकॉर्ड नहीं मानती है तो वक्फ बोर्ड की क्या जरूरत है? इसलिए कल प्रेस कॉन्फ्रेंस में हम इस मामले की वज़ाहत करेंगे और अपनी आगे की रणनीति का भी ऐलान करेंगे।