मानव मानव में भेद करने वाले विधान मनुस्मृति का दहन होना ही चाहिए : लक्ष्य
लखनऊ: भारतीय समन्वय संगठन (लक्ष्य) की महिला टीम ने “मनुस्मृति दहन दिवस” के अवसर पर लखनऊ के आशियाना में स्थित लक्ष्य कमांडर सुजाता सिंह जी के निवास स्थान पर मनुस्मृति का दहन तथा एक भीमचर्चा का आयोजन किया |
बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर ने 25 दिसम्बर 1927 को मनुस्मृति का दहन किया था। यह एक ऐसा विधान था जो मानव मानव में जातीय,धर्म व लिंग के आधार पर भेद करता था | यह विधान शूद्र व समाज की महिलाओं को मानवीय अधिकार से वंचित रखता था बल्कि जानवर से भी बद्तर जीवन जीने के लिए मजबूर करता था। इसीलिए बहुजन समाज के लोग हर वर्ष इसका दहन करते है व इसका विरोध करते है। यह बात लक्ष्य की महिला कमांडरों ने भीम चर्चा के दौरान कही |
उन्होंने कहा कि इस बात का अंदाजा आसानी से लगा सकते हो कि इसके लिखने वाले और इसके मानने वाले लोग किस मानशिकता के होंगे | बाबा साहब ने देश के संविधान में सभी नागरिकों को समान अधिकार देकर ऐसी सभी मांशिकताओं का अंत कर दिया। जो मानवता व देश के लिए खतरा थी। लक्ष्य कमांडरों ने कहा कि हमें ऐसी ताकतों से सावधान रहना चाहिए जो किसी भी प्रकार का भेदभाव फैलाती हों, देश को कमजोर करती हों तथा उसका डटकर मुकाबला करना चाहिए |
इस भीमचर्चा में लक्ष्य कमांडर सुजाता सिंह, चेतना राव, विजय लक्ष्मी गौतम,छाया कौशल, रागनी चौधरी, नीलम चौधरी,डॉ विनीता सिंह, एडवोकेट लक्ष्मी गौतम, सरिता सत्संगी,स्मिता चंद्रा, नीतू प्रमोद, कालिका प्रसाद, जयराम सिंह, एस एन सिंह, हैनी गौतम, सुरुचि गौतम, शीलप्रिय सम्राट ने हिस्सा लिया |