लेखपाल भर्ती परीक्षा में धांधली के मुद्दे ने तूल पकड़ा
लखनऊ:
लेखपाल राजस्व भर्ती परीक्षा में एसटीएफ द्वारा अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को प्रेषित रिपोर्ट में 15 हजार संदिग्ध अभ्यर्थियों के परीक्षा में शामिल होने के खुलासे से चयन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार मुक्त परीक्षाओं के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दावों की असलियत उजागर हो गई है। प्रदेश भर में युवाओं ने सोशल मीडिया में लेखपाल भर्ती परीक्षा को रद्द कर पुनर्परीक्षा कराने के लिए सरकार के विरोध में मोर्चा खोल दिया है। यूपी एस आई में धांधली का मुद्दा अभी तक चर्चा में था ही, एसटीएफ के खुलासे के बाद लेखपाल भर्ती परीक्षा में धांधली के मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है। खुद सरकार की एजेंसी द्वारा इतने बड़े पैमाने पर संदिग्ध अभ्यर्थियों के परीक्षा में शामिल होने के खुलासे का सरकार द्वारा बचाव कर पाना मुश्किल होगा। सोशल मीडिया संचालित मुहिम में अभ्यर्थियों द्वारा मांंग की जा रही है कि इस अभूतपूर्व धांधली के लिए दोषियों पर कार्यवाही और विवादों से बचने के लिए पुनर्परीक्षा एक मात्र विकल्प है। इसके मद्देनजर युवा महासचिव वागीश धर राय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र प्रेषित कर एसटीएफ रिपोर्ट व संस्तुति के मद्देनजर तत्काल उचित कार्यवाही करने की अपील की है। प्रेषित पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया गया है कि एसटीएफ रिपोर्ट से अभ्यर्थियों के लेखपाल भर्ती परीक्षा में अभूतपूर्व धांधली और पेपर लीक के आरोपों की पुष्टि हुई है और परीक्षा की शुचिता पर गंभीर प्रश्न चिन्ह लग गया है। दरअसल इसी तरह धांधली के गंभीर आरोप यूपी एसआई, 68500 व 69000 शिक्षक भर्ती, एलटी शिक्षक भर्ती आदि में भी लगे हैं। लेकिन चयन संस्थाओं द्वारा पेपर लीक व धांधली को एक सिरे से नकारा जा रहा है जोकि बेहद चिंताजनक है। युवा मंच ने मुख्यमंत्री से अपील की कि राजस्व लेखपाल भर्ती परीक्षा अभूतपूर्व धांधली के मामले में एसटीएफ रिपोर्ट व उसकी संस्तुति को संज्ञान में लेकर अभ्यर्थियों की पुनर्परीक्षा आयोजित करने की मांग के संदर्भ में उचित निर्णय लेने का कष्ट करें।
युवा मंच महासचिव वागीश धर राय ने इस संबंध में प्रेस को जारी बयान में कहा कि मुख्यमंत्री चयन प्रक्रिया में धांधली के आरोपों को एक सिरे से नकारते हुए दावा करते हैं कि 2017 के पहले भ्रष्टाचार-भाईभतीजावाद था लेकिन उनकी सरकार में निष्पक्ष और पारदर्शिता के साथ भर्तियां हो रही हैं यह पूरी तौर पर हास्यास्पद है और युवाओं के भविष्य के साथ मजाक है। दरअसल सच्चाई है कि चयन प्रक्रिया में धांधली न सिर्फ बदस्तूर जारी है बल्कि इजाफा हुआ है।