शोषण मुक्त समाज की स्थापना ही समाजवाद का ध्येय: अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता विरोधी दल अखिलेश यादव ने 3 अप्रैल को नई दिल्ली के न्यू महाराष्ट्र सदन में आयोजित ऑल इण्डिया फेडरेशन ऑफ सोशल जस्टिस कार्यक्रम को वर्चुअली सम्बोधित किया।
अखिलेश यादव ने कहा कि ‘सब कुछ सभी के लिए‘ (Everything For Everyone) के उद्घोष के साथ ऑल इण्डिया फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस की स्थापना का सद्प्रयास सराहनीय है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने सामाजिक जागरूकता के लिए जो पहल की है वह सामाजिक न्याय की शक्तियों को एकजुट करने में सार्थक साबित होगी।
अखिलेश यादव ने कहा कि दक्षिण भारत में श्री पेरियार ने जिस सामाजिक आंदोलन की अलख जगाई, उससे उत्तर भारत भी अछूता नहीं रहा था। तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री करुणानिधि और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की भी मुलाकात हुई थी। उन नेताओं की भेंट का ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व कम नहीं आंका जाना चाहिए।
डॉ0 राममनोहर लोहिया ने जिस सामाजिक न्याय की अनिवार्यता पर बल दिया था, उसके प्रति समाजवादी पार्टी की अटूट प्रतिबद्धता रही है। डॉ0 लोहिया ने पिछड़ों के लिए ‘संसोपा ने बांधी गांठ, पिछड़े पावे सौ में साठ‘ की सामाजिक व्यवस्था के साथ ही ‘विशेष अवसर‘ के सिद्धांत का भी प्रतिपादन किया था, जो संविधान में आरक्षण का आधार बना। समाजवादी पार्टी समानता, सामाजिक न्याय तथा आत्म सम्मान के लिए लड़ाई में हर कदम पर सहभाग के लिए प्रतिबद्ध है।
श्री यादव ने कहा कि नेताजी के नेतृत्व में मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू करवाने के लिए लम्बा आंदोलन चलाया था। हजारों समाजवादी कार्यकर्ताओं ने जेल की यातनाएं सही तब जाकर मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू हो सकी थी। समाजवादी पार्टी सबके लिए हक और सम्मान चाहती है। इसलिए समाजवादी पार्टी का मानना है कि जब तक सामाजिक न्याय नहीं होगा तब तक न आर्थिक समानता आएगी और न ही सामाजिक गैरबराबरी का अंत होगा। समान अवसर और सम्मान के साथ सभी को जीने का अधिकार मिलना चाहिए। शोषण मुक्त समाज की स्थापना ही समाजवाद का ध्येय है।
अखिलेश यादव ने कहा समाजवादी पार्टी देश और संविधान बचाने के लिए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के नेतृत्व में ‘ऑल इण्डिया फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस‘ की पहली बैठक की सफलता की कामना करती है। उन्होंने कहा कि आज शोषणकारी व्यवस्था की समाप्ति के लिए परस्पर विचार विमर्श और संघर्ष की आवश्यकता है। ‘‘समता, सम्पन्नता और सामाजिक न्याय की प्राप्ति के लिए सभी सशक्त शक्तियां संगठित हों।‘‘