पहले दो चरणों ने साफ़ कर दी यूपी चुनाव की तस्वीर
मोहम्मद आरिफ नगरामी
उत्तर प्रदेश असेम्बली इन्तेखबात सात मरहलों में होने हैं पहले दो मरहले मुकम्मल हो चुके हैं। पहले मरहले में ग्यारह अजला की 58 सीटों पर दस फरवरी को और दूसरे मरहले में 9 इजला की 55 सीों के लिये, 14 फरवरी को वोट डाले गये। दो मरहलों की पालिंग के बाद केयास आराईयां शुरू हो गयी हैं खासकर इस बात की चर्चाा ज्यादा हो रही है कि मुस्लिम अकसरियती इलाकों मेें वोटिंग का रूजहान क्या रहपा । 2017 के इन्तेखाबी नजाएज को देखें तो 14 फरवरी को जिन 55 सीटों केे लिये वोटिंग हुयी तो वहां बीजेपी ने 38 सीटें जीती थीं।
समाजवादी ने 15 और कांग्रेस ने दो सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार तस्वीर काफी बदल चुकी है। इस बार समाज वादी पार्टी के सदर, अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोक दल के सदर, जयंत चौधरी ने बीजेपी के 2017 की कामयाबी के तिलिस्म को तोडने के लिये इत्तेहाद किया है, इसकी वजह यह रही कि एक साल तक चलने वाली किसान तहरीक इन दोनों पार्टियो के इत्तेहाद में मगरिबी यूपी की सियासी तस्वीर ही बदल दी है। पहले मरहले मेें जहां जयंत चौधरी ने मजबूती के साथ अपनी मौजूदगी का एहसास करा दिया वहंी दूसरे मरहले में अखिलेश यादव ने अपना दावा मजबूत कर लिया। दूसरे मरहले में जहां पोलिंग हुयी वहां मुस्लिम वोटरों की तादाद काफी है। जिन 9 अजला में वोटिंग हुयी, उनमें 6 अजला में 40 फीसद ंसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है। सिर्फ रामपुर में 50 फीसद से ज्यादा मुस्लिम आबादी है जब कि मुरादाबाद और सम्भल में 47 फीसद और बिजनौर में 43 फीसद से ज्यादा मुसलमान हैं। वहीं सहारनपुर में 41 फीसद और अमरोहा में 40 फीसद से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। पहले मरहले की अगर बात करें तो इस मरहले में 64 फीसद पोलिींग हुयीं। केराना में सबसे ज्यादा 75 फीसद वोट डाले गये। 11 अजला की 58 सीटों पर पहले मरहले की पोलिंग में 2017 में 63 फीसद, और 2022 में 61 फीसद पोलिंग हुयी।
दूसरे मरहले में सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, सम्भल, रामपुर, अमरोहा, बुदांयूॅू, बरैली और शाहजहांपुर की असेम्बली सीटों पर ज्यादा वोटिंग हुयी है। इन तमाम इलाकों में मुस्लिम राय देहन्दगान को फैसलाकुन समझा जाता है। पहले मरहले में भी मुस्लिम अकसरियती एलाकों में भी अच्छी वोटिंग हुयी है। मुजफफरनगर के थाना भवन में बीजेपी के उम्मीदवार सुरेश राना ने मुस्लिम अकसरियती 40 बूथों पर दोबारा पोलिंग कराने का मुतालबा किया था, लेकिन जिला मैजिस्टेªट ने उसे ठुकरा दिया। दूसरे मरहले में मुस्लिम वोटरों की लम्बी लम्बी लाइनों को देख कर बीजेपी के उम्मीदवारों ने तरह तरह के इल्जामात लगाये। दूसरे मरहले की 80 फीसद सीटों पर मुस्लिम वोटर फैसलाकुन किरदार अदा करने वाले हैं। सियासी पंिडतों का कहना है कि गुजिश्ता असेम्बली इन्तेखाबात से इस बार हालात काफी बदल गये है। पिछली बार बीएसपी को यही मुस्लिम वोट मिले थे जहां उम्मीदवारों में भी मुस्लिम थे, वहीं बीजेपी ने जाट और गूजर वोट भी बडी तादाद में हासिल किये थे। इस बार एस0पी0 और आरएलडी के एक साथ मैदान में आने से इस बात का कवि इमकान है कि मुस्लिम वोट एसपी और आरएलडी उम्मीदवारों को जायेगा। जाट ओर गूजर वोट किसानों की तहरीक गन्ना जैसे मसाएल पर बीजेपी से नाराज आ रहे हैं।
इसी नुक्तये नजर से माना जा रहा है कि इन सीटों पर ज्यादा वोटिंग बीजेपी के लिये नुकसानदेह साबित हो सकती है। अगर वोटिंग की रवायती अन्दाज को समझा जाये तो मुस्लिम अकसरियती बूथों पर ज्यादा वोटिंग से बीजेपी को नुकसान होगा। इसका बराहे रास्त फायदा एसपी और आरएलडी को होगा। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी राष्ट्रवाद के नाम पर हिन्दू वोटरों को मुत्तहिद करने में नाकाम रहंी है। एसपी ने दावा किया है कि पहले दो मरहलों मे इत्तेहाद को सौ से ज्यादा सीटें मिलेंगी। वैसे सियासी तजुर्बेनिगारों का भी कहना है कि इत्तेहाद को 70 से 80 सीटें मिलने का कवि इमकान है जब कि कांग्रेस ओर बीएसपी दहाई तक भी मुश्किल से पहुंच रही है।