संसद में किसान के मुद्दों की बहस “खून की खेती” और “गोधरा दंगों” तक पहुंची
नयी दिल्ली: लोकसभा में किसानों के मुद्दे पर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण सप्ताह के अखिरी दिन भी आज प्रश्नकाल नहीं चला और अध्यक्ष ओम बिरला को भारी शोर शराबे के बीच सदन की कार्यवाही छह बजे तक स्थगित करनी पड़ी। वहीँ राज्य सभा में बात ‘खून की खेती’ और गोधरा के दंगों तक पहुँच गयी|
लोकसभा स्पीकर बिरला ने प्रश्नकाल शुरू कर जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ की तो विपक्षी दलों के कई सदस्य हाथों में नारे लिखे तख्तियां लेकर ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ जैसे नारे लगाते हुए सदन के बीचोंबीच आ गये और नारेबाजी तथा शोर शराबा करने लगे।
अध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों के हंगामे पर ध्यान नहीं दिया और प्रश्नकाल चलाने का प्रयास करने लगे। कुछ देर तक शोर शराबे के बीच प्रश्नकाल चलता रहा। इस बीच अध्यक्ष ने प्रश्न पूछने के लिए विपक्ष के सदस्यों के नाम भी पुकारे लेकिन वे सभी हंगामा करते रहे इसलिए सत्ता पक्ष के सदस्यों ने ही सवाल पूछे और स्वास्थ्य मंत्री ने उनके सवालों का जवाब भी दिया।
वहीँ राज्यसभा में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कांग्रेस पार्टी पर ‘खून से खेती’ करने का आरोप लगाया जिसपर अब राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने भी पलटवार किया और पूछा कि गोधरा में जो खेती हुई थी, वह ‘खून की खेती’ थी या पानी की, जिसके बाद राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस शुरू हो गई।
राज्यसभा में तोमर के ‘खून से खेती’ वाले बयान पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि गोधरा में जो खेती हुई थी, वह ‘खून की खेती’ थी या पानी की खेती थी। संघ और भाजपा हमेशा ही सांप्रदायिक दंगे कराना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर यह सांप्रदायिक दंगे कराएंगे, तभी उनको फायदा होगा। यही कारण है कि असदुद्दीन ओवैसी और नरेंद्र मोदी के बीच अच्छी दोस्ती है।
बता दें कि संसद के दोनों सदनों मेंराष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा जारी है।