उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी। रविवार को सीएम योगी के आवास पर बेसिक शिक्षक विभाग की अहम बैठक हुई। बैठक में कहा गया कि यूपी सरकार हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करेगी और सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी। पिछले शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सहायक अध्यापकों की भर्ती मामले में नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया था।

इस बैठक में सीएम योगी, बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह, मुख्य सचिव मनोज सिंह, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक सिंह, बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सुंदरम, महानिदेशक कंचन वर्मा और महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा शामिल हुए। बैठक के दौरान सीएम योगी को हाईकोर्ट के फैसले की विस्तृत जानकारी दी गई। बैठक में सीएम योगी ने कहा कि हमारी सरकार का स्पष्ट मत है कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को संविधान द्वारा दी गई आरक्षण सुविधा का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।

बैठक में सीएम योगी ने निर्देश दिए कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले के आलोक में विभाग द्वारा कदम उठाए जाएं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुरानी मेरिट लिस्ट को रद्द करते हुए सरकार को तीन महीने के अंदर 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया है। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार आरक्षण नियमावली 1994 की धारा 3(6) और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन करते हुए नई चयन सूची तैयार करे।

यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद यूपी सरकार पर जमकर निशाना साधा था। एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने सरकार से पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियों के लिए नई सूची बनाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि 69000 शिक्षक भर्ती भी अंततः घोटाले भाजपा के घोटाले, घोटाले और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई.