यह रात माहे रमज़ान के आख़री अशरा की ताक़ रातों में से किसी एक रात में आती है यानी इक्कीसवीं शब, तेइसवीं शब, पचीसवीं शब, सत्ताइसवीं शब और उनतीसवीं शब में से