(नोट: यह डॉ. अंबेडकर का ऐतिहासिक भाषण है जिसमें जस्टिस पार्टी की विफलता के कारणों और द्रविड़ आंदोलन की कमियों पर चर्चा की गई है- एसआर दारापुरी) जहाँ तक मैं अध्ययन कर
एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट इस समय पूरे देश में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के बेटे उदयनिधी स्टालिन द्वारा सनातन धर्म के बारे में एक सभा
डॉ. आंबेडकर को प्रायः दलितों के उद्धारक के रूप में पहचाना जाता है जबकि वे सभी पददलित वर्गों दलितों और पिछड़ों के अधिकारों के लिए लड़े थे. परन्तु वर्ण व्यवस्था के कारण
एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट बाबासाहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर न केवल महान कानूनविद, प्रख्यात समाज शास्त्री एवं अर्थशास्त्री ही थे वरन वे दलित वर्ग के साथ-साथ श्रमिक
-एस.आर. दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट डॉ. बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर एक अछूत परिवार में पैदा हुए थे जो सभी प्रकार के सामाजिक, शैक्षिक, धार्मिक व राजनीतिक अधिकारों से वंचित वर्ग
भगवान दास डा. बाबा साहेब अम्बेडकर बम्बई में शुरू से ही मजदूर आन्दोलन से जुड़े हुए थे. इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी की स्थापना 1936 में की गयी. बाबा साहेब ने उसके संविधान में
डॉ. के. जमना दास दैनिक लोकसत्ता पर आधारित सुहास सोनवणे द्वारा हाल ही में मराठी स्थानीय पत्रिका में एक लेख प्रकाशित किया गया था। इसका एक सार निम्नलिखित है, जिसका मराठी से
एस आर दारापुरी,राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट बौद्ध धर्म दुनिया के महान धर्मों में से एक है जिसमें ईश्वर का कोई स्थान नहीं है और न ही स्वर्ग का लालच तथा