यौमे वफात 31 दिसम्बर पर खुसुसी मजमून आरिफ़ नगरामी सुलतानुलहिन्द हजरत ख्वाजा मुईनुद्दीन चिष्ती रह0 का 809वां सालाना उर्स अजमेर शरीफ में नेहायत शान व शौकत और अदब व एहतेराम के साथ
आरिफ़ नगरामी महान उर्दू लेखक, आलोचक, कवि और उपन्यासकार शम्सुर रहमान फारुकी अब हमारे बीच नहीं रहे। फारुकी अस्वस्थ थे और हाल ही तक उनका दिल्ली में इलाज चल रहा था। जब
मोहम्मद आरिफ नगरामी “माहे रबीउल अव्वल” इस्लामी तारीख में इन्तेहाई रोशन व ताब नाक और जोफिशा महीना है। इस माहे मुबारक में कायनात की वह अजीम तरीन हस्ती आलमे वजूद में तशरीफ
मोहम्मद आरिफ नगरामी इन्सान अपनी जिन्दगी की रेनाईयों इसकी दिल फरीबों और उसकी शादाबियों दो आजेदों में यह भूल जाता है कि यह नेमतों कुदरत की अता करदा और उसकी फियाजियों की
मोहम्मद आरिफ नगरामी अक्तूबर 17 तारीख मुसलमानाने हिन्द के लिये बहुत ही अहेम और तारीखी है क्योंकि यह वह तारीख है जिस दिन अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बानी मुसलेह कौम, माहिरे तालीम
मोहम्मद आरिफ़ नगरामी इस्लाम एक फित्री मजहब है जिस ने इन्सान की हर जरूरत को हर मौके पर पूरा किया उसकी तालीम दी है एक तरफ एहकामात खुदावंदी इबादतें है नमाज रोजा
मोहम्मद आरिफ़ नगरामी माहे रमज़ान अपनी तमामतर रहमतों, बाबरकात, अनवार व फुयूज़ात, नेक साआत और लम्हात, बाबरकात लैल व नहार, इबादत के मौसम बहार, क़रया क़रया मस्जिद मस्जिद और घर घर तिलावत