मोहम्मद आरिफ नगरामी अवध वह सरजमीन है जिस की खमीर से ऐस ऐसे आलिमे बाअमल उठे हैं जिनकी जिन्दिगी मशअले राह बनी मुल्ला निजामुद्दीन सहलवी और उनके अखलाफ जिनको उलमाये फिरंमहल के
मोहम्मद आरिफ नगरामी खानये काबा क्या है? इस दुनिया में अर्शे इलाही का साया है। यह रहमतों और बरकतों का खजाना है। खुदा के जलाल व जमाल का आईना है। यह तौहीद
हिन्दुस्तान के आखिरी मुगल शहंशाह बहादुर शाह जफर के यौमे वफात 7 नवम्बर पर खुसूसी मजमून मोहम्मद आरिफ नगरामी हिन्दुस्तान के आखिरी शहंशाह बहादुर शाह जफर को मैकनिन मिस्किजी नाम के बहरी
मोहम्मद आरिफ नगरामी 1857 की पहली जंगे आजादी के बाद मायूसियों ने बहुत से लोगों, खास कर मुसलमानों को गिरफत मंे ले लिया था। वह शिकस्त की वजूहात और नये हालात के
मोहम्मद आरिफ़ नगरामी मुसलमान अपने दौरे फुतुहात में जहां कहीं भी गये अपने साथ इल्म तहज़ीब व तमददुन की रोशनी भी ले गये क्योंकि तारीख के इस राज को वह जान गये
मोहम्मद आरिफ नगरामी इस्लामी तकवीम का आगाज मोहर्रमुल हराम से होता है जिसका दूसरा महीना सफरूल मुजफ्फर है। मुसलमानों की कुछ तादाद इस महीने को मनहूस समझती है और बहुत सारी तकरीबात
मोहम्मद आरिफ नगरामी ईदुल अजहा हजरत इस्माईल अलै, की जांनिसारी और जज़्बा तस्लीम व रज़ा की एक ऐसी अज़ीम यादगार है जो तारीखे इंसानी में कुरबानी की हकीकत और कुरबानी के मफहूम
मोहम्मद आरिफ नगरामी इस्लाम एक फित्री मजहब है जिस ने इन्सान की हर जरूरत को हर मौके पर पूरा किया उसकी तालीम दी है एक तरफ एहकामात खुदावंदी इबादतें है नमाज रोजा
मोहम्मद आरिफ़ नगरामी माहे रमज़ान अपनी तमामतर रहमतों, बाबरकात, अनवार व फुयूज़ात, नेक साआत और लम्हात, बाबरकात लैल व नहार, इबादत के मौसम बहार, क़रया क़रया मस्जिद मस्जिद और घर घर तिलावत