Share यह क़सीदा पढ़ने का नहीं, बल्कि जवाबदेही व आत्म चिंतन का समय है लेख अब्दुल ग़फ़्फ़ार सिद्दीक़ी9897565066 अल्लामा इक़बाल रह० ने कहा था:सूरत – ए – शमशीर है दस्त – ए – क़ज़ा में वो क़ौम।करती है जो हर ज़माँ अपने अमल का एहतिसाब।। इसका अर्थ जून 12, 2023 14:46 0