Share ज़मीन हिलती थी और आसमान रोता था लेख ज़मीन हिलती थी और आसमान रोता था,ज़मीने गर्म पे सिब्ते नबी का लाशा था। आज की तारीख़ इसलाम की सरबुलंदी और यज़ीदी मुसलमानों की पस्ती की है। इमाम हुसैन तीन दिन के अगस्त 9, 2022 13:58 0