लखनऊ
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूजा स्थल अधिनियम पर अगली सुनवाई तक मंदिर-मस्जिद से जुड़े किसी भी नए मुकदमे को दर्ज नहीं करने के आदेश का स्वागत किया है।

शाहनावाज़ आलम ने जारी बयान प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि अगली सुनवाई तक किसी नए मुकदमे को दर्ज करने पर रोक तो ठीक है लेकिन जो मुकदमें इस अधिनियम की अवमानना करते हुए स्वीकार किए गए हैं, उसपर भी सुप्रीम कोर्ट से कार्यवाई की उम्मीद की जा रही थी। क्योंकि पूजा स्थान अधिनियम स्पष्ट तौर से कहता है कि 15 अगस्त 1947 तक पूजा स्थलों का जो भी चरित्र और स्टेटस है वह न केवल यथावत रहेगा बल्कि उसे चैलेंज करने वाली कोई याचिका भी किसी कोर्ट, ऑथोरिटी या ट्रिब्युनल में स्वीकार नहीं की जा सकती। इसका सीधा मतलब हुआ कि मस्जिदों और मज़ारों को मंदिर बताने वाली याचिकाओं का स्वीकार किया जाना ही असंवैधानिक था।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार हफ़्तों में पूजा स्थल अधिनियम पर अपना पक्ष रखने का समय दिया है। जबकि तथ्य यह है कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित के समय से अब इस नोटिस को जोड़ दिया जाए तो आधा दर्जन बार सुप्रीम कोर्ट केंद्र को पूजा स्थल अधिनियम पर उसका पक्ष जानने के लिए नोटिस दे चुकी है। जिसपर केंद्र ने एक बार भी जवाब नहीं दिया है। मोदी सरकार इसपर कोई जवाब इसलिए नहीं देती कि यह अधिनियम संसद द्वारा बनाया गया था जिसका तकनीकी तौर पर समर्थन करना भारत सरकार की मजबूरी है।

उन्होंने कहा कि सबसे दुखद तथ्य यह है कि ख़ुद सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पहले स्वीकार किया और निचली अदालतों के संदिग्ध जजों के सामने भी मस्जिदों को मन्दिर बताने वाली याचिकाएं इस अधिनियम का विरोध करने वाले आरएसएस और भाजपा नेताओं से डलवाई गयीं और उन्हें स्वीकार किया जाता रहा। सबसे अहम कि कोर्ट द्वारा याचिका डालने वालों की मंशा समझने की कोशिश ही नहीं की गयी जबकि यह वाद स्वीकार करने से पहले ज़रूरी होता है। अगर ऐसा किया गया होता तो भाजपा नेता और हेट स्पीच के आरोपी अश्वनी उपाध्याय की इस अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाएं प्रथम दृष्ट्या ही ख़ारिज हो जातीं।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि एक रणनीति के तहत भाजपा सरकार इन नोटिसों का जवाब नहीं दे रही थी और दूसरी तरफ अपने कार्यकर्ताओं से याचिकाएं भी डलवा रही थी। इस साज़िश में पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड़ ख़ुद भी शामिल थे।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी अल्पसंख्यक कांग्रेस पूजा स्थल अधिनियम की अवमानना पर सुप्रीम कोर्ट के रवैय्ये के खिलाफ़ पूरे प्रदेश से एक लाख पत्र सीजेआई संजीव खन्ना को भेजने का अभियान पिछले 6 दिसंबर से चला रहा है। जिसका समापन 22 दिसंबर को दिल्ली के कांस्टियूशन क्लब में सम्मलन में किया जाएगा।