लखनऊ
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के यूपी मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने के फैसले को पलट देने का स्वागत किया है।

शाहनवाज़ आलम ने जारी बयान में कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने पहले तो योगी सरकार ने हाईकोर्ट में अपने लोगों द्वारा 2004 के मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित कराने के लिए याचिका डलवाई और एक सांप्रदायिक मानसिकता वाले जज से अपने सांप्रदायिक एजेंडे को सूट करने वाला फैसला दिलवा दिया था और इसीलिए उसे चुनौती नहीं दी थी।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट का अपने फैसले में यह कहना कि ‘संविधान का अनुच्छेद 30 धार्मिक अल्पसंख्यकों के अपने स्वयं के शैक्षणिक संस्थानों का प्रबंधन करने के अधिकारों की रक्षा करता है और इसलिए उच्च न्यायालय ने यह निर्णय देकर गलती की थी कि 2004 का कानून धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है’, उत्तर प्रदेश की न्यायपालिका के कुछ जजों के सांप्रदायिक मानसिकता को उजागर करता है कि कैसे वे संविधान की गलत व्याख्या प्रस्तुत करके आरएसएस के मुस्लिम विरोधी एजेंडे को वैधानिकता देने की कोशिश करते हैं।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि संविधान के अनुछेदों की गलत और शरारतपूर्ण व्याख्या करने वाले जजों का उनके पद पर बने रहना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। इसलिए इस फैसले को सुनाने वाले जज को तत्काल पद से हटा देना चाहिए या उन्हें संविधान का अध्ययन करने के लिए छुट्टी पर भेज देना चाहिए।