बाबरी विध्वंस केस में फैसला सुनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तय की डेडलाइन
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अन्य नेताओं के खिलाफ मामलों में फैसला सुनाने के लिए 30 सितंबर तक की समय सीमा सीबीआई के स्पेशल कोर्ट को दी है। मिल रही जानकारी के मुताबिक, SC ने 19 अगस्त को यह आदेश सुनाया था।
एक महीने का समय
पीठ ने 19 अगस्त को अपने आदेश में कहा था कि विद्वान विशेष न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव की रिपोर्ट को पढ़कर, और यह देखते हुए कि कार्यवाहियां अंत की ओर पहुंच रही हैं, हम एक महीने का समय देते हैं।
आडवाणी, उमा भारती, जोशी पर चल रहा है केस
बता दें कि 25 जुलाई 2020 को भाजपा के वयोवृद्ध नेता पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले की सुनवायी कर रही सीबीआई की विशेष अदालत में शुक्रवार को अपना बयान दर्ज कराया। आडवाणी ने विवादित ढांचा गिराये जाने की साजिश में शामिल होने से इंकार किया है।
आडवाणी का इंकार
विशेष न्यायाधीश के समक्ष आडवाणी ने अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचा ढहाये जाने के लिए ‘कारसेवकों’ के साथ कथित साजिश में शामिल होने से इनकार करते हुए कहा कि राजनीतिक वजहों से उन्हें बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले में अनावश्यक रूप से घसीटा जा रहा है।
आरोपों को मनगढंत बनाया
खुद के निर्दोष होने का दावा करते हुए उन्होंने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश से कहा कि जांच राजनीतिक दबाव में हुई थी और आरोपपत्र मनगढंत साक्ष्यों के आधार पर दाखिल किया गया।