नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस पर राजधानी में हुई हिंसा का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इसकी जांच के लिए शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग गठित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका में 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज के अपमान और हिंसा के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों या संगठनों के खिलाफ प्रासंगिक दंड प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए संबंधित प्राधिकरण को निर्देश देने की भी मांग की गई है।

आयोग गठन की मांग
अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा शीर्ष अदालत में दायर याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग और दो सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए गठित किया जाना चाहिए। जो मामले में एक समयबद्ध तरीके से अदालत को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

झड़प ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा
इसमें कहा कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध दो महीने से अधिक समय से चल रहा है, लेकिन ट्रैक्टर परेड के दौरान इसने ‘हिंसक मोड़’ ले लिया। तिवारी ने अपनी याचिका में कहा कि दुर्भाग्य से ट्रैक्टर मार्च ने एक हिंसक मोड़ ले लिया जिससे कई लोगों को चोटें आई और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान हुआ। इस घटना ने जनता के दैनिक जीवन को प्रभावित किया है। इससे इंटरनेट सेवाएं बाधित हुई। हमारा भारत का सर्वोच्च न्यायालय ऑनलाइन कार्य कर रहा है। याचिका में कहा गया कि गणतंत्र दिवस पर किसानों और पुलिस के बीच झड़प ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है।

ज़िम्मेदार कौन
याचिका में कहा कि मामला गंभीर है राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित में विचार के लिए सवाल यह उठता है कि अशांति पैदा करने के लिए कौन जिम्मेदार है, किसने शांतिपूर्ण किसान विरोध को हिंसक आंदोलन में बदल दिया। इसमें कहा गया है कि कुछ “कुख्यात बलों या संगठनों” द्वारा अशांति फैलाने और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को नुकसान पहुंचाने और पुलिस और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच टकराव पैदा करने की साजिश हो सकती है।