दिल्ली:
उत्तराखंड के हल्द्वानी में उन 4400 परिवारों के लिए सुप्रीम कोर्ट किसी फ़रिश्ते से कम नहीं है जिसने इन सर्द रातों में उनके सर से छत छिनने से बचा लिया है. कथित तौर पर रेलवे की ज़मीन पर पीढ़ियों से रहते आ रहे इन परिवारों के घरों पर फिलहाल वो बुलडोज़र नहीं चलेगा जो 8 जनवरी को चलने वाला था. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी कर रेलवे और उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा है. शीर्ष अदालत ने कहा कि आप सिर्फ 7 दिनों में घरों को खाली करने के लिए कैसे कह सकते हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें कोई ऐसा समाधान ढूंढना होगा जो प्रैक्टिकल , समाधान ढूंढने का यह कोई तरीका नहीं है. जमीन की प्रकृति, अधिकारों की प्रकृति, मालिकाना हक की प्रकृति आदि से उत्पन्न होने वाले कई कोण हैं, जिनकी जांच होनी चाहिए. सात फरवरी को इस मामले में अगली सुनवाई होगी. बता दें कि कांग्रेस पार्टी की पहल पर सलमान खुर्शीद की निगरानी में वहां के नागरिकों ने हाईकोर्ट के आर्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी.

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओक की बेंच ने इस केस की सुनवाई की. याचिकाकर्ताओं की ओर से कॉलिन गोंजाल्विस ने बहस की. उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश के बारे में बताया और कहा कि ये भी साफ नहीं है कि ये जमीन रेलवे की है. हाईकोर्ट के आदेश में भी कहा गया है कि ये राज्य सरकार की जमीन है. इस फैसले से हजारों लोग प्रभावित होंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे की ओर से पेश ASG ऐश्वर्या भाटी से पूछा कि क्या रेलवे और राज्य सरकार के बीच जमीन डिमार्केशन हुई है? वकील ने कहा कि रेलवे के स्पेशल एक्ट के तहत हाईकोर्ट ने कार्रवाई करके अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया है. ASG ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि कुछ अपील पेंडिंग हैं, लेकिन किसी भी मामले में कोई रोक नहीं है. रेलवे की जमीन पर 4365 अवैध निर्माण हैं.

कोर्ट ने कहा कि आप केवल 7 दिनों का समय दे रहे हैं और कह रहे हैं कि खाली करो. ये मानवीय मामला है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से भी पूछा कि लोग 50 सालों से रह रहे हैं, उनके पुनर्वास के लिए भी कोई योजना होनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि भले ही यह आपकी जमीन हो, कुछ लोगों ने कहा है कि वो 1947 से पहले से हैं. उन्होंने लीज पर जमीन ली और मकान बनाए, किसी ने नीलामी में खरीदा, उनका क्या होगा. विकास की अनुमति दी जानी चाहिए लेकिन लोग इतने लंबे समय तक रुके रहे तो पुनर्वास की अनुमति दी जानी चाहिए. आप 7 दिनों में खाली करने के लिए कैसे कह सकते हैं?

इससे पहले हल्द्वानी के जिलाधिकारी ने कहा है कि हमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है. फैसले के बाद रणनीति बनाई जाएगी. जमीन रेलवे की है, लिहाजा उनकी तरफ से नोटिस जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले इस इलाके में मुनादी भी कराई गई थी. कानून व्यवस्था को बनाए रखना प्रशासन की जिम्मेदारी है.