Supreme Court ने बिलकिस बानो के सजायाफ्ता दोषियों की रिहाई के केंद्र से मांगे दस्तावेज़
दिल्ली:
बिलकिस बानो मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई की अनुमति देने वाले गुजरात सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट 27 मार्च 2023 को सुनवाई हुई. जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की डिवीजन बेंच ने मामले में बड़ा दखल दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस अपराध को ‘भयावह’ बताया. इसके साथ ही कोर्ट ने बिलकिस बानो की याचिका पर केंद्र, गुजरात सरकार और दोषियों को नोटिस जारी किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को दोषियों की रिहाई की अनुमति से जुड़ी फाइल तैयार रखने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘यह तय करेगा कि सजा में छूट पर फैसला लेने के लिए “उपयुक्त प्राधिकारी” कौन हैं. अदालत तय करेगी कि यह गुजरात है या महाराष्ट्र.’ सुप्रीम कोर्ट 18 अप्रैल को इस मामले की विस्तृत सुनवाई करेगा.
बिलकिस बानो ने अपनी जनहित याचिका में कहा है- ‘दोषियों की समय से पहले रिहाई न केवल बिलकिस, उसकी बड़ी हो चुकी बेटियों, उसके परिवार के लिए, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरे समाज के लिए एक झटका है.’ बिलकिस सहित पूरे देश और पूरी दुनिया को रिहाई की चौंकाने वाली खबर के बारे में तब पता चला जब वो रिहा हो गए. उन्हें पूरे सार्वजनिक चकाचौंध में माला पहनाई गई और सम्मानित किया गया और मिठाइयां बांटी गईं.
ये घटना इंसानों के एक समूह द्वारा इंसानों के एक अन्य समूह जिसमें असहाय और निर्दोष लोगों पर अत्यधिक अमानवीय हिंसा और क्रूरता का सबसे भीषण अपराधों में से एक है. उनमें से अधिकांश या तो महिलाएं या नाबालिग थे. एक विशेष समुदाय के प्रति नफरत से प्रेरित होकर उनका कई दिनों तक पीछा किया गया. गुजरात सरकार का समय से पहले रिहाई का आदेश एक यांत्रिक आदेश है.
याचिका में आगे कहा गया, ‘अपराध की शिकार होने के बावजूद रिहाई की ऐसी किसी प्रक्रिया के बारे में कोई खबर नहीं दी गई. इस रिहाई से वो बेहद आहत, परेशान और निराश है.’ उन्होंने सभी दोषियों की समय से पहले रिहाई से संबंधित कागजात/पूरी फाइल का अनुरोध करने के लिए राज्य सरकार से संपर्क किया था, लेकिन रिमाइंडर के बावजूद राज्य सरकार की ओर से कोई जवाब या कागजात नहीं आया.’
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही घोषित किया है कि सामूहिक छूट स्वीकार्य नहीं है. प्रत्येक दोषी के मामले की उनके विशिष्ट तथ्यों और अपराध में उनके द्वारा निभाई गई भूमिका के आधार पर व्यक्तिगत रूप से जांच जरूरी है. इससे पहले चार जनवरी 2023 को बिलकीस के दोषियों की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई ना करने की दोषियों की मांग सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो बिलकिस की याचिका को मुख्य याचिका मानकर सभी पांच याचिकाओं पर सुनवाई करेगा.
मई 2022 में जस्टिस रस्तोगी की अगुवाई वाली एक पीठ ने फैसला सुनाया था कि गुजरात सरकार के पास छूट के अनुरोध पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र है, क्योंकि अपराध गुजरात में हुआ था. इस फैसले की समीक्षा के लिए बिलकिस बानो द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2022 में खारिज कर दिया था. इस बीच, सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 को रिहा कर दिया गया, जब राज्य सरकार ने उनके क्षमा आवेदनों को अनुमति दी.